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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १५५ देहली आदि में विक्रम का सम्वत चलता है जिसके १६४१ वर्ष व्यतीत हुए हैं। इससे शक संवत् और लक्ष्मण सेन संवत के बीच का अन्तर (१५०६ =४६५) १०४१ वर्ष प्राता है।" लक्ष्मण सेन के राज्याभिषेक के समय इस संवत् का आरम्भ हुआ इसका समर्थन स्वयं प्रोझा ने भी किया है । "यह संवत बंगाल के सेन वंशी राजा बल्लाल सेन के पुत्र लक्ष्मण सेन के राज्याभिषेक से चला हुआ माना जाता है । इस प्रकार अब्बुल फजल व ओझा राज्याभिषेक की घटना को संवत्-आरंभ का समय मानते हैं जबकि मिनहाज उस सिराज ने लक्ष्मण सेन के जन्म व राज्यारोहण की घटना का समय एक ही बताया है । अतः तीनों विद्वानों ने एक ही तिथि को जिसमें कि लक्ष्मण सेन का राज्याभिषेक किया गया, लक्ष्मण सेन संवत् के आरम्भ का दिन माना है । इनमें अब्बुल फजल व ओझा द्वारा मात्र राज्यारोहण की घटना का उल्लेख हआ है। इसका कारण संभवतः यही रहा होगा कि इन विचारकों के जन्म व राज्यारोहण की घटना एक ही होने के संबंध में पर्याप्त विवरण न पाया हो तथा मिनहाज उससिराज को इस संबंध में विवरण प्राप्त हुआ तथा उसने दोनों घटनाओं का नाम साथ-साथ दिया । अतः ये तीनों विचार क इस संबंध में एक मत हैं कि संवत् आरंभ की घटना व राज्यारोहण की घटना एक ही थी। __ यह भी विवादास्पद वात है कि जन्म के समय ही लक्ष्मण सेन का राज्या. भिषेक कर दिया गया था क्योंकि मनराल व मित्तल लक्ष्मण सेन का वास्तविक शासन आरंभ लक्ष्मण सेन संवत् के आरंभ व उसके जन्म की घटना से बहुत बाद में मानते हैं। तथा वे यह भी मानते हैं कि बल्लाल सेन ने स्वयं अपने पुत्र लक्ष्मण सेन को राज्याधिकार सौंपा था और लक्ष्मण सेन के राजा बनने के बाद भी बल्लाल सेन जीवित था। "बल्लाल सेन ने अपने जीवन के अन्तिम वर्षों में राजगद्दी का त्याग कर अपने पुत्र लक्ष्मण सेन को राज्याधिकार सौंप दिया। संभवतः ११७६ ई० में लक्ष्मण सेन राजा हुआ।"3 इस कथन से स्पष्ट है कि ११७९ ई. तक स्वयं बल्लाल सेन शासन कर रहा था जबकि मिनहाज बल्लाल १. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर, १६१८, पृ० १८४। २. वही। ३. मनराल, मित्तल "राजपूतकालीन उत्तर भारत का राजनीतिक इतिहास", आगरा, १९७८, पृ० ७८ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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