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________________ १५४ भारतीय संवतों का इतिहास ___ यह सम्वत् एक राजा द्वारा चलाया गया था और उसको राजकीय संरक्षण प्राप्त था अतः इसका राजनीतिक प्रयोग तो विदित ही है, परन्तु एक शताब्दी की अल्प अवधि में धार्मिक कार्यों में भी लोगों ने इसको ग्रहण कर लिया होगा यह सम्भव नहीं लगता, क्योंकि घामिक नीतियों में इतना शीघ्र परिवतन हो पाना सम्भव नहीं। लक्ष्मण सेन सम्वत् सेन वंशी राजा लक्ष्मण सेन द्वारा चलाया गया यह सम्वत लक्ष्मण सेन सम्वत" के नाम से जाना जाता है । इस सम्बत का नाम इसके आरम्भकर्ता के नाम पर ही रखा गया है । ___ लक्ष्मण सेन सम्वत का आरम्भ भी विवाद का विषय है। विद्वानों ने क्रमशः लक्ष्मण सेन के जन्म (मिनहाज उस सिराज), राज्यारोहण (अब्बुल फजल), व मृत्यु (ए० कनिंघम) की घटनाओं से सम्वत के आरम्भ को सम्बद्ध किया है। लक्ष्मण सेन के जन्म से ही सम्वत् का आरम्भ हुआ तथा इसी समय उसका राज्याभिषेक भी कर दिया गया—इस मत को मिनहाजउस सिराज ने "तबकातेनासिरी" में दिया है : "राय लखमणिया (लक्ष्मणसेन) गर्म में था उस समय उसका पिता मर गया था। उसकी माता का देहान्त प्रसव वेदना से हुआ और लखमणिया जन्मते ही गद्दी पर बिठाया गया। उसने ८० वर्ष राज्य किया। लक्ष्मण सेन सम्वत् का आरम्भ ई० सम्वत् १११६ में हुआ जैसा कि आगे लिखा गया है। इसलिए बख्तियार खिलजी की लक्ष्मण सेन पर नादिया की चढ़ाई लक्ष्मण सेन सम्वत् (११६६-१११६) ८० में हुई जबकि लक्ष्मणसेन की उम्र ८० वर्ष की थी और उतने ही वर्ष उसको राज्य करते हुए थे।" लक्ष्मण सेन सम्वत् का आरम्भ राजा लक्ष्मण सेन के राज्याभिषेक की घटना से हुआ था इस मत को अब्बुल फजल ने दिया है। "अकबरनामा" में अब्बुल फजल ने लिखा है कि "बंग (बंगाल) में लक्ष्मण सेन के राज्य के प्रारम्भ से सम्वत् गिना जाता है । उस समय से अब तक ४६५ वर्ष हुए हैं। गुजरात और दक्षिण में शालीवाहन का सम्वत् है जिसके इस समय १५०६ और मालवा तथा १. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा द्वारा अपनी पुस्तक "भारतीय प्राचीन लिपि माला, अजमेर, १६१८, पृ० १८४ में उद्धृ त ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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