SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारतीय संवतों का इतिहास हम समझते हैं कि वह विक्रमादित्य जिससे सम्वत् का वह नाम पड़ा है वही व्यक्ति नहीं जिसने शक को मारा था वरन् केवल उसका समनामधारी है । १ १०४ इस प्रकार उपरोक्त वर्णित सभी विद्वानों के विचार यह बताते हैं कि शक सम्वत् का आरम्भ अत्याचारी शक राजा की श्री विक्रमादित्य द्वारा हत्या किये जाने के समय से हुआ । एक अन्य मत प्रो० डूथिया का जोकि ७८ ई० में शक राजा द्वारा सम्वत् की स्थापना के विरोध में जाता है कि आलोचना हेमचन्द्र राय चौधरी ने की है तथा इस मत की पुष्टि की है कि शक सम्वत् का आरम्भ ७८ ई० में हुआ । और आज अधिकांश विद्वान फर्गुसन, ओल्डेनबर्ग, बनर्जी, रैप्पन, जे ०ई० पान ली हुइजन, डी-ल्यू, डी०एस० त्रिवेद आदि इसी मत का समर्थन करते हैं । अतः अब इस वर्ग के विद्वानों के विचारों का उल्लेख आवश्यक है । नये सम्वत् के आरम्भ के संदर्भ में भी समय-समय पर अभिलेखीय व मुद्रा सम्बन्धी व साहित्यिक खोजों के आधार पर अनेक तिथियां निर्धारित की जाती रही है । एक ही विद्वान ने अनेक तिथियों की सम्भावना व्यक्त की है । सिल्वेन लेवी ने कुषाण तिथिक्रम की समस्या को चीनी इतिहासकारों द्वारा दिये गये वर्णन के आधार पर निरीक्षण किया है तभा कनिष्क के राज्य का आरम्भ ५ ई० पूर्व से माना है । त्रिवेद ने कल्हण की राजतरंगणी में दिये गये मांकड़ों के आधार पर गणना की है तथा इस घटना की तिथि १३५६ ई० पूर्व बतायी है । अनेक विद्वानों के निष्कर्षो के भिन्न-भिन्न आधार हैं। इस प्रकार १३५६ ई० पूर्व से २७८ ई० (डा० आर०जी० भण्डारकर ) तक अनेक विरोधी तिथियां कनिष्क के शासन काल तथा उनके द्वारा तिथि निर्धारण के संदर्भ में दी गयी हैं । फर्गुसन, ओल्डेनबर्ग, बनर्जी, रंप्सन, जे० ई० पान लो हुइजेन, डी-ल्यू, वैशोफर आदि विद्वानों के अनुसार कनिष्क ने ७८ ई० में शक सम्वत् का आरम्भ किया । ए० कनिंघम लिखते हैं कि शक सम्वत् की गणना कलि सम्वत् के ३१७६ या ई० ७८ से की जाती है क्योंकि भारतीय पूर्ण वर्षों से ही गणना करते हैं (कितने वर्षं व्यतीत हो चुके ) । अतः प्रथम वर्ष कलियुग के ३१८० या ई० ७६ से आरम्भ होता है । उत्तरी तथा दक्षिणी भारत में इसका प्रयोग प्राय: १. अल्बेरूनी, “अल्बेरूनी का भारत", अनुवादक रजनीकांत, इलाहाबाद, मार्च १९६७, पृ० २६६-६७ । २. हेमचन्द राय चौधरी, "प्राचीन भारत का राजनैतिक इतिहास", इलाहाबाद, १९८०, पृ० ३४६-४६ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy