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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् ८६ कोरूल के युद्ध में निर्णायक विजय प्राप्त की तथा इसी विजय को शाश्वत बनाने के लिये एक सम्वत की स्थापना की और इस सम्वत् को कालपूजित बनाने के लिये इसकी स्थापना की तिथि ६०० वर्ष पीछे ५६ ईस्वी पूर्व में ठेल दी।"" फर्गुसन के इस मत के समर्थक मैक्समूलर थे तथा काफी समय तक यह विचार मान्य रहा परन्तु कुछ अभिलेखों की प्राप्ति के प्रश्चात् यह विदित हुआ कि ५४५ ईस्वी से पूर्व भी विक्रम सम्वत् का प्रचलन था अतः फर्गुसन के सिद्धान्त की आलोचना की जाने लगी । डा० राजबली पाण्डेय ने फर्गसन के सिद्धान्त की आलोचना निम्न आधारों पर की है : प्रथम छठी शताब्दी में उज्जयिनी में हर्ष विक्रमादित्य नाम का कोई राजा नहीं था। मन्दसौर का यशोधर्मन ही प्रमुख राजा था। मन्दसौर में उपलब्ध दो स्तम्भ लेखों में उसकी विजयों का वर्णन मिलता है किन्तु उनमें उसकी विक्रमादित्य उपाधि कहीं भी नहीं है और न ही किसी प्रमाणिक लेख से इसका पता चलता है। दूसरे, विक्रमादित्य सम्वत् का संस्थापक शकारि (शकों का शत्रु) था, हणों का नहीं जैसाकि फर्गुसन का हर्ष विक्रमादित्य है। तीसरे, इस मत के प्रतिपादक ने इस बात की सन्तोषजनक व्याख्या नहीं की कि उक्त सम्वत् का संस्थापन अन्य शताब्दियों में नहीं बल्कि ६०० वर्ष पूर्व ही क्यों ठेल दिया गया। चतुर्थ, विक्रम सम्वत् की तिथि में बहुत से प्रमाणिक लेख प्रकाश में आये जो सम्वत् संस्थापन की कल्पित तिथि से पूर्व के हैं । फर्गुसन के सिद्धान्त की आलोचना हरिनिवास द्विवेदी तथा विजय गोविन्द द्विवेदी आदि विद्वानों ने भी की है। विक्रम सम्बत् की स्थापना के सम्बन्ध में कनिंघम ने इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया कि विक्रम सम्वत् का आरम्भ कनिष्क ने किया। बाद में फ्लीट ने इस तथ्य की पुष्टि की। उन्होंने कनिष्क की राज्यारोहण की तिथि को प्रथम शती ईस्वी पूर्व रखा और अपने तर्क उपस्थित किये कि कनिष्क जैसे सम्राट ने जो राजनीति व धर्म में समान रूप से महान था, एक सम्बत् का आरम्भ किया १. राजबली पाण्डेय द्वारा उद्धृत, "विक्रमादित्य सम्वत् प्रवर्तक', वाराणसी, १९६०, पृ० ४७ । २. वही, पृ०४८। ३. हरि निवास द्विवेदी, "मध्य भारत का इतिहास", प्रथम खण्ड, १६५६, पृ० ४३३ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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