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________________ ४३६ शीलोपदेशमाला. जे कारण माटे (इंदियगामो के०) इंजियनो समूह (विसमो के०) रक्षण करवो अशक्य २ (य के० ) अने ( सत्ता के०) प्राणी (तुछार के०) चित्तनी दृढ शक्ति रहित .॥ ११० ॥ विशेषार्थ-जो के शीलवत पालq बहु कठीण बे, तोपण एकांत, स्नेह, विगेरेनो निरंतर त्याग करवो. कारण के, इंडियनो समूह रक्षण करवो अशक्य अने प्राणी चित्तनी अल्प दृढतावाला जे; माटे पोताना संबंधीनी साथेपण एकांतमां बेस नहीं. कह्यु बे के- मात्रा वस्त्रा उहित्रा वा, न विविक्तासनो जवेत् ॥ बलवानिंजियग्रामो, विद्वांसमपि कर्षति ॥ १॥ पुरुषे माता, बहेन श्रथवा पुत्रीनी साथे एकांतमां बेसवु नहीं. कारण के, बलवान् एवो इंडियनो समूह विद्वान् पुरुषने पण वश्य करी नाखे बे. ॥ ११० ॥ पोते निर्दोष होय तो पण स्त्रीना संगथी अपवाद . तो लागे , ते वात कहे जे. यद्यपि एव न प्रतजंगः तथापि एव संगात् नवेत् अपवादः जवि हुँ नो वयनंगो, तवि द्वे संगीन दोई अववान॥ दोषनिजालननिपुणः सर्वः प्रायः जनः येन दोसनिॉलणनिजणो, सेबो पीयं जैणो जेणें ॥ १११॥ शब्दार्थ- (जवि के०) जो के निष्कपटपणे शीलवत धारण करनार पुरुषने (संगाउ के०) संगथी (वयचंगो के०) शीलवतनो जंग (हु के०) निश्चे (नो होश के०)न थाय (तहवि के०) तोपण (अववा के०) अपवाद (हु के०) निश्चे थाय. (जेण के०) जे कारण माटे (पायं के०) घणुं करीने (सबो के०) सर्वे (जणो के०) माणस (दोसनिहालणनिउणो के०) बीजाना दोष जोवामां डाह्या होय जे. ॥ १११ ॥ विशेषार्थ- जो के निष्कपटपणे शीलवतधारी महात्मा पुरुषना - तनो नंग कदापी न थाय, तोपण निश्चे अपवाद तो लागे जे. कारण के, घणुं करीने सर्वे माणसो पारको दोष जोवामां चतुर होय . ॥ १११ ॥
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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