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________________ प्रदेशी राजानी कथा. ३ पांच कल्याणकने विषे तथा कोइना तपना बलथी ते अहिं पृथ्वी उपर यावे बे. बीजे कोइ वखते यावता नथी. हे राजन् ! एज कारणथी नरकमा गएलो हारो पिता ने स्वर्गमां गयेली व्हारी माता पोतपोतानां दुःख सुखनी वातो कड़ेवा माटे व्हारी पासे यावी शकतां नथी. " राजा फरीथी पूब्j. " हे प्रजो ! मे एक चोरने कोठीमां घाली कोaaj बारं बंध करायुं. थोडा दिवसो गया पढी ते चोरने बहार कGoat तो तेने जव रहित अने तेनुं शरीर अनेक जीवथी व्याप्त थयेलुं दी. में प्रथमथी जोयुं हतुं तो तेमां कोइ जीव पेशी शके अथवा बहार नीकली शके तेम न होतुं तो कहो ते चोरनो जीव कये रस्ते थइने गयो ने बीजा जीवो कये रस्ते थइने श्राव्या ? वली में एक बीजा चोरने पकडी तेना शरीरनुं चूर्ण करावी नाख्युं; पण तेमांथी कोई जीव म्हारे हाथ श्राव्यो नहीं तेम में अथवा बीजा कोइए दीठो पण नहीं तो कहो ते चोरनो जीव केम नहीं देखायो ? तेमज में त्रीजा चोरने पकडी तेने तोल्यो. पढी श्वास रोकीने मारी ने फी तोल्यो. तो जेटलो जीवतां थयो हतो तेटलोज ते मरी गया पी पण यो जीवतां छाने मूवामां कां फेर पड्यो नहीं. तो कहो जीवनो तोल केम कांइ न थयो ? " सूरीए क. " जेम बिज विनानी कोठीमां पूरेलो माणस शंखने बगाडे अने ते शब्द बहार उनेला माणसो सांजले बे तेमज मूर्ति विनानो जीव कोठीमांथी बहार निकलो गयो. अर्थात् शब्दना सरखा शरीरवालो जीव शूक्ष्मपणाथी पण देखी शकतो नथी. शब्दना पुलपणाथी उत्पन्न यएला बीजा शब्द पुलो कोठीने नेदीने बहार निकली जाय बे, जेथी तेमना निकलवानो मार्ग देखी शकातो नथी. जेम छारणीना काठमां अनि रह्यो बे aai d काष्ठोने जांगी नाखीये तो पण ते देखातो नथी. तेमज जीव श रन अंदर रहेलो बे बतां शरीरना ककडा करी नाखीये तो पण देखातो नथी. हे तूप ! जेम पवनथी नरायेली अथवा न जरायेली चामानी मशकमां तोलनो फेर पडतो नयी तेम जीववाला अथवा जीव रहित एवा देहमां तोलनो फेर पडतो नथी. ए प्रकारे सूक्ष्म अथवा बादार देनी पण एवीज गति बे. हे महाराज ! श्रात्माने चैतन्यमय, सू
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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