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________________ हे सखिलं ! निजामत्रना फरकवा का सखा ये कयु के नेमिनाथना नवनवनी कथा. १२५ न! तने खेद शा माटे उत्पन्न थयो ?” राजीमतीये सत्य कह्यु के, "हे सखि ! हुं निर्जाग्य बुं; कारण के,श्रा आनंदना वखतमां मने जमणा हाथना अने जमणा नेत्रना फरकवा रूप निमित्त उत्पन्न थयु डे !!! हवे हुं शुं करूं ?” एवां तेनां वचन सांजली सखीये कयु के, "हे सखि! श्रा त्हारा अमंगलीक शब्दोने धिकार ने अने कुलदेवी श्रमारंकुशल करशे. हवे विवाहने प्रसंगे आवेला अनेक राजाना नोजनने माटे नेगा करीने बांधेलां, अने चीसो पाडतां पशुमने जोश्ने नेमिनाथे पोताना सारथीने पूज्युं के “श्रा सघलां पशु शा माटे नेगां कस्यां ?" सारश्रीए कह्यु के, “ हे देव ! तमारा विवाह प्रसंगे श्रावेला राजाऊना नोजनने माटे ए पशुउँने बांध्या बे.” सारथीनां एवां वचन सांजलीने नेमिनाथे कडं के "राजा रहित विश्वने श्रने दया रहित माणसोने धिकार के कारण के जे जेनुं को पण पालण करनार नथी एवां था पशुऊने मारे बे.” ए प्रकारे कहीने दयाथी कोरेला हृदयने धारण कररता नेमिनाथे पोतानो रथ बांधेला पशु तरफ चलाव्यो, एटले दिन थयां ने मुख अने नेत्र जेमनां एवां ते पशु नेमिनाथने जोश्ने पोतपोतानी नाषामां " अमाझं रक्षण करो, अमारं रक्षण करो.” एम बोलवा लाग्यां. पडी नेमिनाथे पोताना सारथीने आज्ञा करीने सर्व जीवोने बंधनमांथी बोडावी पोतानो रथ पालो वाख्यो एटले ब्रांति पामीने समुपविजय राजा अने शिवादेवी विगेरे पोतपोताना रथमांथी - तरी नेमिनाथ पासे श्राव्या. जेमनी आंखोमां आंसु श्राव्यां डे एवां मातपिताए नेमिनाथने कह्यु के " हे वत्स ! तने था विवाहरूप महोत्सवमां शो विरस उत्पन्न थयो ? हे नंदन ! अमने अकस्मात् फुःख केम उपजावे ? तुं विवाहथी विराम पाम्य नहीं.” नेमिनाथे कयु के. " हे तात ! म्हारा विवाह निमित्त पोताना कर्मथी वींटलाएला था पशुऊने जोइने हुँ विवाहथी निवृत्ति पाम्यो ढुं अने संयम मार्गमा विचरिश. तथा तमने संतोष पमाडनारा महानेमि विगेरे तमारा घणा पुत्रो ." नेमिनाथनां एवां वचन सांजलीने मात पिता मूळ पाम्या, एटले कृष्णे धीरजताथी नेमिनाथने कह्यु के, " हे ना! तमे दयाथी जेवी रीते था पशुउने मूकाव्या बे, तेवीज रीते दया करीने मातपिताने दु:
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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