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(७.८१.) अग्गियए (७. १. इकारान्त स्त्रीलिंगी नामना रूपनी प्रान्तानुकृति) जोइसियहिं (५. १०७.). आ उपरांत ए पण मालम पडे छे के रूपाख्यानोना ज्या प्रत्ययो छे, त्यां लगभग सरखा ज प्रत्ययो छे. प्रथमा, द्वितीया अने संबोधन विभकिने तो प्रत्ययो ज नथी. इन् अन्तवाळो नामोमां न घणीवार त्यजी देवामां आवे छे. त्यार पछी तेनां रूपो इकारान्त नाम जेवां ज करवामां आवे छे. एकवचन
भनेकवचन प्रथमा गिरि (२. १००)
परमेट्टि (३. ५०.) गुरु (८. १.)
. .. रविंदु (. २७८.) द्वितीया गिरि (३. ९५.)
परमिट्टि (६. ४७.) सिसु (५. २५.) .
गुरु (५. ७.) तृतीया करिणा (५. १३..) बहुएं(७.११२) णाणिहिं (५:१४९.)
बलिणा (५. १९३.) बहुयई (८.१५) भाइहिं (५. २७७.) पहुणा (५. २९२.) मंतिइं (५. १८४.)
बहवि (.. १५.) पंचमी [गिरिहे] महुणो (४. २२९.) गिरिह] चतुर्थी-षष्ठी रहुवइहे (२. २२.)
जोइहिं (७. ३७.) करिहो (३. ८७.)
णाणिहिं (७. ११२) पंडुहि (३. १४९.)
भाईणं (४. २३१.) हरिहि (४. १६२.)
रिसिहि (५. २०६) भाणुहिं (४.१८५.) जगवइणो (४.२२८.) । ... कुलसामिहिं (५.४५.) विटुहिं (५.२३१.) सप्तमी सुहिहिं (५. १९६.) गिरिहुं] संबोधन सिहि (२. १२५.) गिरि] ६.११. आकारान्त स्त्रीलिंगी नामनां रूप
आगळ आपणे जोई गया ते प्रमाणे आकारान्त स्त्रीलिंगी नामनो मन्तिम मा हस्व करी देवामां आवे छे. आ प्रमाणे प्रत्यय लगाडवा लायक. बे मूळरूप बने छे. दा. त. माल अने माला.