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________________ और वादिराजसूरि के अनुसार पार्श्वनाथ पर हो रहे उपसर्ग निवारण के लिए धरणेन्द्र और पद्मावती दोनों आये अवश्य थे, किन्तु वहाँ भी ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि पद्मावती ने पार्श्वनाथ को अपने सिर पर बैठा लिया था। ‘इन्द्र और धरणेन्द्र भी आये, देवी पद्मावती मंगल गाये' इस पंक्ति के आधार पर पद्मावती रक्षार्थ आयी तभी से पार्श्वप्रभु की अधिष्ठायिका बनी। इसमें सन्देह नहीं है कि तीर्थंकर पार्श्वनाथ एक ऐतिहासिक पुरुष है। १०० वर्ष की आयु पूर्ण होने पर उन्होंने बिहार में स्थित सम्मेद शिखर से निर्वाण प्राप्त किया था। यद्यपि अजितनाथ आदि अन्य १९ तीर्थंकरों ने भी सम्मेद शिखर से निर्वाण प्राप्त किया है, किन्तु सम्मेद शिखर से निर्वाण प्राप्त करने वाले पार्श्वनाथ अन्तिम तीर्थंकर है और उनके नाम पर सम्मेद शिखर को पारसनाथ हिल के नाम से भी जाना जाने लगा है। इस बात को पार्श्वनाथ की ऐतिहासिकता सिद्ध करने के लिए एक प्रमाण के रूप में उपस्थित किया जा सकता है। परन्तु इस विषय में यह अन्वेषणीय है कि सम्मेद शिखर का नाम पारसनाथ हिल कब से हुआ। पार्श्वनाथ के निर्वाण काल से ही या कालान्तर में उक्त नाम प्रचलित हुआ। शङ्केश्वर तीर्थ 115
SR No.023336
Book TitleTritirthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRina Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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