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________________ १०. धरणेन्द्र - पद्मावती सात दिन तक क्यों सोते रहे ध्यानस्थ पार्श्वनाथ के ऊपर पूर्व वैरी कमठ के जीव द्वारा सात दिन तक भयंकर उपद्रव होता रहा और धरणेन्द्र - पद्मावती को कुछ पता ही नहीं चला। संभवतः आठवें दिन धरणेन्द्र - पद्मावती जागे और दौड़ेदौड़े आकर पार्श्वनाथ के ऊपर हो रहे उपसर्ग को दूर किया। यहाँ जिज्ञासा है कि यदि धरणेन्द्र-पद्मावती न आते तो क्या पार्श्वनाथ पर दीर्घकाल तक उपसर्ग चलता रहता। और क्या तब तक पार्श्वनाथ को केवलज्ञान उत्पन्न नहीं होता । नहीं, ऐसा नहीं है । उपसर्ग तो दूर होना ही था । लेकिन उसका श्रेय धरणेन्द्र - पद्मावती को अवश्य मिल गया। I ११. तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर उपसर्ग क्यों वर्तमान में हुण्डापसर्पिणी काल चल रहा है । असंख्यात उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल के बीत जाने पर एक बार हुण्डापसर्पिणी काल आता है। इस काल में कुछ ऐसी अनहोनी बातें होती हैं जो सामान्य रूप से कभी नहीं हुई। जैसे तीर्थंकरों पर उपसर्ग कभी नहीं होता है, परन्तु पार्श्वनाथ पर उपसर्ग हुआ । तीर्थंकरों के पुत्री का जन्म नहीं होता है, फिर भी ऋषभनाथ के ब्राह्मी और सुन्दरी नामक दो पुत्रियों का जन्म हुआ । इत्यादि और भी कई बातें हैं जो हुण्डापसर्पिणी काल के प्रभाव से घटित हुई हैं। और तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर उपसर्ग भी एक ऐसी ही घटना है १२. सर्पफण युक्त मूर्तियों का औचित्य I तीर्थंकर पार्श्वनाथ की अधिकांश मूर्तियाँ सर्प - फणमण्डप युक्त है। किन्तु कुछ मूर्तियाँ सर्पफण रहित भी उपलब्ध होती हैं । यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि तीर्थंकरों की जो मूर्तियाँ प्रतिष्ठित होकर मन्दिरों में विराजमान की जाती हैं वे केवलज्ञान अवस्था अथवा अर्हन्त अवस्था को प्राप्त तीर्थंकरों की होती है । किन्तु धरणेन्द्र ने ध्यानस्थ पार्श्वनाथ के ऊपर शङ्खेश्वर तीर्थ 113
SR No.023336
Book TitleTritirthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRina Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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