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________________ चरण पादुका विराजमान है। इस अंतिमसंस्कार भूमि से 60 सीढियाँ उतरते ही दो रास्ते आते है, जिनमें बायीं ओर के मार्ग से 3000 सीढियाँ उतरकर लगभग आधा किलोमीटर चलने पर तलहटी आती है। दायीं ओर 10 सीढियाँ उतरते ही बायीं ओर बुगदा की धर्मशाला आती है जहाँ से 30 सीढियाँ उतरते ही बायीं ओर श्री नेमिनाथ परमात्मा की केवलज्ञान कल्याणक की प्राचीन देवकुलिका आती है। (17) श्री नेमिनाथ परमात्मा की केवलज्ञान कल्याणक की प्राचीन देहरीः इस केवलज्ञान कल्याणक की देहरी के मध्य में श्री नेमिनाथ प्रभु की चरण पादुका तथा उसके पास उनके शिष्य मुनि श्री रहनेमि तथा साध्वी राजीमतिजी की पादुकायें बिराजमान है। इस देहरी से 30 सीढियाँ उतरते ही बायी ओर श्री नेमिनाथ परमात्मा की दीक्षा कल्याणक की प्राचीन देहरी आती है। (18) श्री नेमिनाथ परमात्मा की दीक्षा कल्याणक की प्राचीन देहरी: यह दीक्षा कल्याणक की प्राचीन देहरी एक विशाल चौक में स्थित है। इसमें श्री नेमिनाथ प्रभु की श्यामवर्णी चरण पादुका है। अनेक मुमुक्षु आत्मायें दीक्षा लेने के पूर्व इस पावन भूमि की स्पर्शना करने अवश्य आते हैं। इस दीक्षा कल्याणक भूमि के सामने वाल्मिकी गुफा तथा बायें हाथ से नीचे उतरते ही भरतवन, गिरनार गुफा, हनुमानधारादि हिन्दू स्थान आते हैं। वहाँ से नीचे उतरते ही परिक्रमा के रास्ते में आनेवाला 'झीणाबावा की मढी' के स्थान पर पहुँचा जा सकता है। इस दीक्षा कल्याणक की देहरी से दायीं ओर वापिस 70 सीढियाँ ऊपर चढते ही दायीं ओर तलहटी की तरफ जाने का मार्ग आता है। जिस मार्ग पर लगभग 1800 सीढियाँ उतरते ही रायण वृक्ष के नीचे एक प्याऊ त्रितीर्थी 88
SR No.023336
Book TitleTritirthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRina Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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