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________________ ए सप्तमपरिजेद. पडव उंडावणार्थं काउसग्ग करूं? छ कही अन्न कही चार लोगस्सका काउसग्ग सागरवरगंनिरा त क करना नीचेकी गाथा कहके पारना. · सर्वे यहां बिकाद्या ये, वैयावृत्यकरा जिने ॥ कुसोपव संघातं, ते अतं जावयंतु नः ॥१॥ पिछे प्रगट लोगस्स कहेना. बमासि काउस्सग करनेकाविधि चैत्र सुदि ११-१२-१३ तथा श्रासो सुदि १११५-१३ ए तीनतीन दिवसोमे हररोज देवसिक प्र तिक्रमणमे सफाय को पिलें ए काउस्सग्ग करना प्रथम खमासमण देके श्छा सचित अचित्तरज उमावण काउस्सग्ग करूं? श्वं. करेमि काउस्सग्गं अन्नत्थ कही चार लोगस्सका सागरवर गंजिरा तक काउस्सग्ग करना. पारके लोगस्त कहेनाः • लोच करनेके समय काकस्सग्ग करनेका विधि. लोच करना होय तिस दिन लोचकिये अगाउ शरिावही पमिकमी खमा श्छा सचित्तचित्त रज उमावणवं काउस्सग्ग करुं? ना करेमी काउ स्सग्गं अन्नत्थकही चार लोगस्सका काउस्सग्ग साग रवरगंभिरा तक करना. पारके प्रगट लोगस्सकहेना. को साधु काल करे तब साधुकों करनेका विधि. जो साधुनें काल किया होय तिनके पास आके एक साधु नीचेप्रमाण कहे-कोटिक गण, वज्रीशा
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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