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________________ २६ जैनधर्मसिंधुः ॥४२॥ अथ कमखदखस्तुति ॥ ॥कमलदलविपुलनयना, कमलमुखी क मलगर्नसमगौरी ॥ कमले स्थिता जगवती, ददातु श्रुतदेवता सिद्धिम् ॥॥॥इति ॥४२॥ ॥४३॥ अथ जुवणदेवयादिस्तुति ॥ ॥जुवण देवयाए करेमि कानस्सग्गं० ॥ यस्याः देत्रं समाश्रित्य, साधुनिः साध्यते कि याः ॥ सा देवदेवता नित्यं, नूयान्नः सुखदा यिनी ॥१॥इति ॥४३॥ ॥४४॥ अथ ज्ञानादिगुणयुतानां ॥ ॥ज्ञानादिगुणयुतानां, नित्यं स्वाध्याय संय मरतानां ॥ विदधातु जुवनदेवी, शिवं सदा स र्वसाधूनाम् ॥ १॥ इति ॥४४॥ ॥४५॥ अथ अढाइजेसु मुनिवंदन ॥ ॥ अढाइजेसु दीव मुसद्देसु, पन्नरसु कम्म नूमीसु॥ जावंत केविसाहू, रयहरण गुड पडि गह धारा ॥ पंचमहवयधारा, अहारस सहस्स सीलंगधारा ॥ अकयायारचरित्ता, ते सवे सि रसा मणसा मबएण वंदामि ॥१॥ति॥४५॥
SR No.023329
Book TitleJain Dharm Sindhu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Nemichandraji Yati
PublisherMansukhlal Nemichandraji Yati
Publication Year1908
Total Pages858
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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