________________
१५४
जैनधर्मसिंधु. होय कूमी सांख पूरी होय, जे कोइ दिवस संबंधि दोष लागो दोय तस्समिठामि उक्कमं॥ - त्रीजुं स्थूल अदत्तादान विरमणव्रतने विषे जे अतिचार ला चोराश्वस्तु लीधी होय, चो रने सहाय दीधुं दोय, राज्य विरुद कीधुं होय कूडां तोला, कूमां मापकीधां होय, वस्तुमां नेल संनेल कीधा दोय,सखरी देखाडी नखरी आपी होय जे कोइ दिवस संबंधि दोष लाग्यो होय, तस्स मिबामिक्कडं॥ __ चोधुं स्थूल स्वदारा संतोष परदारा गमन विरमण व्रतने विषे जे अतिचार ला0 इत्तर थोडा कालनी राखीशुं गमन कीधां दोय अपर ग्रहीतनांगमन कीधा होय, अनंग क्रीमा कीधी होय, परायां विवाद नातरां जोमया होय, काम लोग तीव्र अनिला सेव्या होय, सेवराव्या होय, सेवतां प्रत्ये अनुमोद्या होय, जे को दिवस संबंधि दोष लागो होय, तसस्स मिल __पांचमां ईबापरिग्रह परिमाण व्रतने विषे जे अतिचार लागा होय, ते आलो. धन धा न्यनु, खित्तवथ्थुनु, रूपा सोनानु, उप्पद चन