SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जिनसेन महाराज थे। पुराण के अंत में लिखा है कि शक संवत् 705 में जब उत्तर दिशा में इन्द्रायुध, दक्षिण दिशा में कृष्णराज पुत्र श्रीबल्लभ, पूर्व दिशा में अवन्तिराज एवं पश्चिम दिशा में वीरजय वराह का शासन था, तब वर्धमानपुर में नन्न राजा द्वारा बनाये गये श्री दिगम्बर पार्श्वनाथ जिनालय में इस पुराण की रचना हुई। इस पुराण का शेष बचा भाग दोस्तटिका नगरी के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जिनालय में पूर्ण हुआ। पुन्नाट संघ के श्री जिनसेन कवि ने इस ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ का हिन्दी रूपान्तरण डॉ. पन्नालालजी जैन साहित्याचार्य ने किया। इस ग्रंथ के अनुसार वीर निर्वाण संवत् 683 तक गौतम गणधर से लेकर लोहाचार्य (विक्रम संवत् 213) तक की आचार्य परम्परा श्रुतावतार आदि अनेक ग्रंथों में मिलती है। इसके बाद की अविछिन्न आचार्य परम्परा केवल इसी ग्रंथ में निम्नानुसार उपलब्ध हैं आचार्य श्री विनयधर, श्रुतगुप्ति, ऋषिगुप्ति, शिवगुप्त, मन्दरार्य, मित्रवीर्य, वलदेव, वलमित्र, सिंहवल, वीरवित, पदमसेन, व्याघ्रहस्ति, नागहस्ति, जितदंड, नन्दिसेण, दीपसेन, धरसेनाचार्य, धर्मसेन, सिंहसेन, नन्दिसेण, ईश्वरसेन, नन्दिसेण, अभयसेन, सिद्धसेन, अभयसेन, भीमसेन, जिनसेन, शांतिसेण, जयसेन, अमितसेन, कीर्तिसेण व आचार्य जिनसेन स्वामी (हरिवंश पुराण के कर्ता विक्रम संवत् 840)। डॉ. पन्नालालजी जैन के अनुसार हमें तीन हरिवंश पुराण मिलते हैं 1. अपभ्रंश में जिसके रचियता महाकवि श्री रइधु हैं 'कुरवाई जिनालय' में इसकी प्रति है (बीना के पास) जिला सागर। 2. संस्कृत में ब्रह्मचारी जिनदास का हरिवंश पुराण'भंडारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना में इसकी प्रति स्थित है।' 3. हरिवंश पुराण आचार्य श्री जिनसेन स्वामी रचित, संस्कृत में- इसे संस्कृत कथा साहित्य में तीसरा स्थान प्राप्त है। आचार्य श्री जिनसेन जो हरिवंश पुराण के कर्ता हैं; वे महापुराण आदि के कर्ता आचार्य जिनसेन स्वामी से भिन्न हैं। 6. संक्षिप्त जैन महाभारत
SR No.023325
Book TitleSankshipta Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2014
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy