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________________ फिर इलावर्धनपुर नगर चले गये। वहां से रत्नावती को संग लेकर भद्रिलपुर से चारूहासिनी को साथ लिया। उसके पुत्र को उन्होंने भद्रिलपुर का राजा भी नियुक्त किया। तत्पश्चात जयपुर से अश्वसेना को ले, शालगुह नगर से पदमावती को भी साथ लिया। इसके बाद वसुदेव अपनी समस्त पूर्व पत्नियों को साथ लेकर वेदसामपुर नगर गये। वहां अपने पुत्र कपिल का राज्याभिषेक कर उसे वहां का शासक बना दिया। वहां से पूर्व पत्नी कपिला को साथ ले लिया। तत्पश्चात अचलग्राम से मित्रश्री को लेकर, तिलवस्तु से ब्याही 500 कन्याओं को ग्रहण कर, गिरितट से सोमश्री को लेकर चंपापुर पहुंचे। वहां से वे अपने साथ मंत्री पुत्री व स्वपत्नी गंर्धव सेना को अन्य पत्नियों के साथ विमान में सवार कर विजयखेट नगर ले गये। यहां से उसी विमान में विजयसेना को, कुलपुर से पदमश्री अवन्ति सुन्दरी, पुत्र सहित शूरसेना, जरा, जीवद्धसा व अन्य स्त्रियों को साथ लेकर शौरीपुर आ गये। जब वे शौरीपुर पहुँचे तो वहां सभी प्रजाजनों के साथ उनके अग्रजों ने राजकीय सम्मान के साथ वसुदेव का सभी स्त्रियों के साथ बड़ी ही धूमधाम से उत्सवपूर्वक नगर प्रवेश कराया। 42 - संक्षिप्त जैन महाभारत
SR No.023325
Book TitleSankshipta Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2014
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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