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________________ श्रेष्ठिगोत्र और समरसिंह। चरितनाय का वंश वृक्षमरुधरामरण उपकेशनगर (भोशियां ) निवासी उपकेशवंशीय श्रेष्ठिगोत्रीय श्रेष्टिवर्य वेसट (किराटकूपनगर में वास किया) वरदेव जिनदेव नागेन्द्र सल्लक्षण ( प्रह्लादनपुर में वास किया) भाजड़* गोसल देसल पाशाधर ( रत्नश्री) लावण्यसिंह ( लक्ष्मी) (भोली) सहजपाल साहणपाल समरसिंह सामन्त सोगण दिवगिरि] [खंभात] [पाटण ] [सरस्वती] [रूपादे] * आजड़ शाहके भाइयों का परिवार पाल्हनपुर में रहा उनकी परम्परा में जेसलशाह भोर सारंगशाह बड़े नामी पुरुष हुए। - समरसिंह के सन्तानादि का इतिहास परिशिष्ठ मे दिया गया है शेष कुरुगुरुयों की वंशावलीसे फिर समय पाकर लिखा जाएगा। .
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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