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________________ (सिरि भूवलय कुट्टी बीसुव हाड यावाके कलिसालू। कृष्णन तंगी सुभद्रे ॥ कृष्णन तंगी सुभद्रे कलिसालू। कृष्णन मेले पदगाळ।। अर्थात कूटने वाले गीत किसने सिखाए कृष्ण की बहन सुभद्रा ने सिखाये ___ गोट्टगा के ओखली गीतों का साहित्य इस प्रकार का हो सकता है इसका कारण यह है कि शब्द गण के भूवलय में आने वाले चत्ताण बेदंडो के साथ वाचक यदि अनुशीलन करें तो इस श गण का दूसरा रूप भी उपलब्ध हो सकता है। ____यह शिवमार गोट्टिगा का सन् ८००- ८२० तक दक्षिण कन्नड भाग पर शासन था। ऐसा निर्धारित हुआ है । इसके पहले गंगरस नंद गिरि अड्डगेरे कोवलाल पुराधीश्वर कह कर स्वयं को अपने शासन में पुकारते हैं। इतना ही नहीं इस भूवलय में कळ्ळवप्पू शब्द ( बेळ गोळ का पुराना नाम ) सातवीं सदी के पहले शासन में भी वड्डाराधना नाम के प्राचीन ग्रंथ में भी उपलब्ध है। यह स्थल गंग रस की एक प्रांतीय राजधानी है ऐसी जानकारी के साथ यह एक पुण्य क्षेत्र के रूप में भी गिना जाता है, यह विचार महत्त्व पूर्ण है। इन विषयों का अनुशीलन करें तो कुमुदेन्दु अपने गुरु और समकालीन राजाओं के मध्य रहे होंगें (सन् ७८३-८१४) याने सन् ८०० में रहें होंगें ऐसा स्थूल रूप से कह सकते ____ वादी कुमुद चंद्र ( ई . सू. ११००) :- आपने जिन संहिते नाम के प्रतिष्ठा कल्प के लिए कन्नड में टीका लिखा है। आप “इति माघ नंदी सिध्दांत चक्रवर्ती सुत चतुर्विद पांडित्य चक्रवर्ती श्री वादी कुमुद चंद्र देव विरचिते" स्वयं को कहते हैं। पार्श्व पंडित ( ई. सू. १२०५) :- आप अपने गुरु परंपरा वीर सेन, जिन सेन, गुण भद्र, सोम देव, वादी राज, मुनि चंद्र, श्रुत कीर्ति, नेमी चंद्र भट्टारक, वासू पूज्य शिष्य श्रुत कीर्ति, मुनि चंदे पुत्र वीर नंदी, नेमी चंद्र सैध्दांतिक बलात्कार गण (जैन धर्म का एक समूह) के उदय चंद्र मुनि, नेमी चंद्र भट्टारक, शिष्य वासू पूज्य मुनि, राम चंद्र मुनि, नंदी योगी, शुभ चंद्र, कुमुद चंद्र, कमल सेन, माघवेन्दु, शुभ चंद्र शिष्य, ललित कीर्ति, विद्या नंदी, भाव सेन, कुमुद चंद्र के पुत्र वीर नंदी =66
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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