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________________ ( सिरि भूवलय कुमुदेन्दु ने राष्ट्र कूट के राजा अमोघ वर्ष को इस भूवलय के विषय में कहा था, ऐसा कुमुदेन्दु स्वयं कहते हैं। मान्य खेट के अमोघ वर्ष का समय निश्चित रूप से ज्ञात है। कुमुदेन्दु अमोघ वर्ष के नाम का अनेक बार उल्लेख करते हैं भारत देशद अमोघ वर्षन राजा। सारस्वत वेम्बंग ॥ ८-२२६॥ भरतदेश का अमोघवर्ष राजा सारस्वत का अंग है। तानल्ली मान्य खेटद दोरे जिनभक्त। तानु अमोघ वर्षांक ॥ ९-१४६।। मान्यखेट का राजा अमोघ वर्ष जिनभक्त था। सिहिय खंडद कर्माटक चक्रीय। महिए मंडल वेस संतु॥ ९-१७२। सुन्दर देश कर्नाटक के राजाओं की महिमा भूमंडल में प्रसिद्ध है। गुरुविन चरण धूलिय होत मोघांक। दोरेय राज्य(ळ) भूवलय जाणर मोघवर्षांकन सभेयोलु क्षोणीश सर्वज्ञ मतदिं इहवे स्वर्गवो येम्बा तेरेदिं।। ९-१७९।। अमोघ वर्ष गुरु की चरण धूलि को प्राप्त कर भूमंडल का राजा बना। सभी ज्ञाता वर्षांक की सभा में क्षोणीसर्वजन के अनुसार यही स्वर्ग है। वहिसी अमोघवर्ष नृप। ९-१८॥ अमोघवर्ष नृप ऋषि गळ येल्लरु यरगुव तेरदिन्दली। ऋषि रूप धर कुमुदेन्दु॥ हसनद मनदिन्दा अमोघवर्षांकगे। हेसरि? पेळ्द श्री गीते ॥४५॥ सभी ऋषि नमस्कार करने की रीति में ऋषिरूपित कुमुदेन्दु हँसमुख मन से अमोघ वर्ष को श्री गीता सुनाते हैं । ऊनवील्लद काव्य दक्ष शंकद काव्य। काणिप वैकुंठ काव्य।। श्री नेमि जिन वंश दोळु बंद - भारत। दानंद दायक काव्य। अक्षरांक काव्य दोषरहित काव्य है । वैकुंठ काव्य है । श्री नेमिजन वंश के भारत का आनंद दायक काव्य है। =63
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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