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________________ (सिरि भूवलय) ६. शूरसेनी : (चोकोर खानों में लिखे अक्षरों को मिलाकर पढे तो आने वाला पद्य) जीवो चरित्त दंसण णाण ट्ठिउ तम्हि समय। जाण पुग्गल कम्मपदेस ट्ठियम च तम्म जाण परसमयम।। ७. अर्धमागधी : (उद्धरण चिन्हों के बीच नीचे लिखित प्रकार से लिखे अक्षरों को जोडकर पढने पर) णमो अरहन्ताणं णमो सिद्दाणं णमो अइरियाणं ॥ णमो उवज्झायाणं णमो कळो ऐ सव्व साहणां ॥ ८. मागधी : (उद्धरण चिन्ह के बीच नीचे लिखित प्रकार से लिखे अक्षरों को जोड कर पढने पर ) सिद्ध मणंत मणिदिय मणुवम मप्पत्ध सोक्ख मणावज्झम॥ केवल पहोह णिज्जिय दण्णय तिमिरं जिणं णमह ॥ ९. पालि : ( उद्धरण चिन्ह के बीच नीचे लिखित प्रकार से लिखे अक्षरों को जोड कर पढने पर) बारह अंगांगीजा वियलिय मल मूढ दंसणुत्तलिय ॥ विविह परचरण भूपा पसियवु सुयदे दया सु इरम।। = 500 500
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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