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________________ (सिरि भूवलय - १. प्राकृत : (पक्ति की लंबाई में प्रथम अक्षर को जोड कर पढे तो आने वाला पद्य) सुदणाणस्स अवरणीयं सुदणाणावरणीयं। तत्थ सुदणाणं णाम इंदि ऐहि गहि दत्थादो तदो ॥ २. गीर्वाण : (नक्षत्र सहित वाले मोटे अक्षरों को जोड कर पढे तो आने वाला पद्य) दिव्य गीहि दिव्या अमानुषी गीर्वाणस्य । सदिव्य गीहि दिव्य ध्वनिहि दिव्यों मानुषो ध्वनिहि ॥ ३. तेलगु : (नक्षत्र सहित नीचे लकीर खिंचे 'अक्षरों को जोड कर पढे तो आने वाला पद्य) सकल भूवलय मुनुकु प्रभूषण प्रबुन्डु ॥ मन सुदणाणावरण क्षयकारणा मनि नेनु नमस्या (रंबू चेसि) ॥ ४. तमिल : (पक्ति के लंबाई में अंतिम नक्षत्र सहित मोटे अक्षरों को जोड कर पढे तो आने वाला पद्य) अघर मुदल एळत्तल्लाम आदिभगवन ॥ उलघुक्कु मुदल कुरुळ काव्यत्तिल ॥ पक्कान।। ५. अपभ्रंश : (वृतों में लिखे अक्षरों को जोड कर पढने पर मिलने वाला पद्य) वंदित्तु सव्वसिद्धे धुव मचलम अणोदमम ग इम्पत्ते।। वोच्छामि समयपाहुडम इ एमो सुय केवली भणीयं ।। 499
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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