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________________ सिरि भूवलय भूवलय या ऋगवेद लेखक सु. न. भास्करपन्त आर्यसमाज भूवलय एक अद्भुत और रहस्यमय ग्रंथ है। बड़े आश्चर्य की बात है कि इधर कुछ समय तक इस विलक्षण ग्रंथ का पता भी मानव संसार को नहीं लगा था । न किसी विद्वान ने अपनी कृतियों में इसका उल्लेख किया था और न इसमें से कोई उद्धरण ही दिया था । अब कर्नाटक के मान्य विद्वान श्रीयुत श्री कंठैय्या जी और यल्लप्पा शास्त्री जी बडे परिश्रम से इसका प्रतिपादन कर रहें भूवलय के रचयिता महामुनि आचार्य कुमुदेन्दु हैं ये जैन ब्राह्मण थे । भूवलय के संपादक कर्नाटक के सुप्रसिद्ध इतिहासज्ञ विद्वान श्री कंठैय्या जी ने बड़े अन्वेषण के बाद कई प्रमाणों से यह सिद्ध किया है कि कुमुदेन्दु मुनि ईसा की सातवीं सदी के उत्तरार्ध में जीवित थे। भूवलय में प्रसंगवश जो कुछ ऐतिहासिक सामाग्रियाँ मिली हैं वह सत्य प्रमाणित हुई हैं । असाधरण विद्वता, अद्भूत रचना कौशल, बहुभाषाभिज्ञता का नमूना देखना हो तो भूवलय को पढना चाहिए। जिन विद्वानों ने इसका अवलोकन किया है उनका कहना है कि भूवलय की बराबरी करने वाला दुसरा ग्रंथ मानव पुस्तकालय में आज तक उपलब्ध नहीं हुआ है । संसार में ऐसा विषय नहीं है जिसे कुमुदेन्दु ने स्पर्श नहीं किया हो । कुमुदेन्दु ने गणित, खगोल, रसायन, भौतिक, संगीत, भाषा विज्ञान, के साथ साथ रामायण, वेद पुराण, जयख्यान( ग्रंथकार ने कहीं भी भारत या महाभारत शब्दों का प्रयोग नहीं किया है)। गीता (भगवद् गीता नहीं लिखा है केवल गीता लिखा है) आदि प्रायः सभी विषयों पर प्रकाश डालने की प्रतिज्ञा की है । अब तक इस महा ग्रंथ का जितना भी भाग पढा जा सका है उससे यह आशा की जा सकती है कि भारत वर्ष के जो प्राचीन ग्रंथ लुप्त हो चुके हैं और उपलब्ध होने वाले ग्रंथों में भी प्रक्षेपों के कारण जो अपना असली स्वरूप खो बैठे हैं वे असली रूप में फिर मिलेंगें ।। ग्रंथ कर्नाटक भाषा में सांगत्य छंद में लिखा गया है । हर पन्ने को नियमानुसार पढने पर कई भाषाओं के छंद बनते जाते हैं । कुमुदेन्दु लिखते हैं कि ७१८ =419
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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