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________________ - सिरि भूवलय कर गोली दागी जाती है। यह अभी ज्ञात तथा प्रचलन में जारी विमान निरोधक मार्ग में मान्य रीति है । अभी समझ की शिखर पर पहुँचे रेडार उपकरण हैं विमान निरोधक फिरंगी(तोप) है। इनके उपयोग का कौशल भी है फिर भी इन मारकास्त्रों के कारण हम डरें हुए क्यों हैं? निखर (स्पष्ट) गणित का अभाव यह तथ्य सही है कि आज विमान निरोधक साधन प्रमाणिक है परन्तु उनको योग्य रीति से उपयोग करने की समझ और कौशल हमें ज्ञात है कहना शायद गलत होगा। यदि यह बात गलत नहीं है तो रेडार उपकरणों के द्वारा विमानों की गति का अनुसरण कर हमारे हिसाब-किताब के द्वारा दागी गई गोली विमानों को क्यों नहीं धाराशायी करती है? इसके कारणों का पता लगाना आवश्यक है। आज जो हम दशक गणित पद्धति के गणित का प्रयोग कर रहे हैं उसमें हिसाब करते समय शतक भिन्नांश आने की संभावना रहती है । यह अंश १०० में ५१ भिन्नांश आए तो उसमें न रहने वाले ४९ भिन्नांश हिसाब में जोड कर उसको पूर्ण रूप से गिनती करते हैं यदि यह भिन्नांश ४९ आए तो जो आधे से भी कम होने के कारण उसे छोड कर हिसाब (गिनती) कर स्थूल रूप से लगभग गिनती में लेने के कारण “निर्दुष्ट गणित रीति” का क्रम भंग होता है । इस गणित क्रमदोष के कारण विमानों के चलन का स्थान निर्देश करने में गलती होती है । उसी प्रकार तोपों से दागी जानी वाली गोली का भी विमान को लगने में भी स्थान निर्देश गलत हो जाता है और निशाना चूक जाता है । इस गलत हिसाब के कारण दागी गई गोली गम्य स्थान तक पहुँचने तक विमान का उस स्थान तक पहुँने में विलंब हो सकता है या फिर विमान उस स्थान से गुजर चुका होता है। सौ बार निशान लगाने पर शायद एक बार निशाना सही बैठ सकता है इस कारण यह साधन इच्छानुसार फल नहीं दे रहे हैं यही वास्तव वस्तु स्थिति है । -405
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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