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________________ सिरि भूवलय सत्यदूर संगति संसार में लोहा आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था । यूरेनियं लौह उपलब्ध नहीं था । इसे प्राप्त करना अत्यंत दुष्कर था । जितना उपलब्ध था उसे बम निर्माण के लिए उपयोग करने पर भी उसका प्रमाण अत्यल्प ही था । अधिक शक्ति संपन्न बम के कारण संपूर्ण विश्व का ही नाश होगा ऐसा मानना गलत होगा । करोडों की धन राशी व्यय कर तैयार किए गए बम कुछ नगरों के कुछ भागों को तो नाश कर सकते हैं परन्तु संपूर्ण विश्व में करोडों की तादाद में फैले ग्रामों को नाश नहीं कर सकते । I इसमें एक और विषय को कहा जाता है कि जब ये एटम बम विस्फोट होंगें तब इसके साथ जल कर राख हो कर फैलने वाला ऐसोटोप नाम का विष हवा में घुल कर एक विशाल क्षेत्र को विषमय बना देगा जिसके कारण इसके व्याप्ति क्षेत्र जीव शून्य हो जाएगा, ऐसी जानकारी दी गई है परन्तु यह जानकारी अनुभव के विरुद्ध जाती है। कुछ समय पहले अमेरिका की सरकार ने युद्धांतर जपान से वश में किए गए अनेक नौकाओं को समुद्र में खडा कर उसमें अनेकों पशुओं को जैसे सुअर, कुत्ते गाय-भैंस आदि को जीवंत रख कर इन नौकाओं के समीप ही एटम बम का विस्फोट किया, इससे समुद्र की लहरों की तेज उफान से कुछ नौकाओं को क्षति पहुँची परन्तु शेष बचे नौकाओं में पशुओं को कोई हानि नहीं हुई । ऐसोटोप नाम के विषकण से उस बम विस्फोट के समीप ही स्थित अन्य नौकाओं में पशु क्यों नहीं मरें ? अमेरिका और रूस की सरकारें जब-तब बिकिनि द्वीप और साइबेरिया में परीक्षार्थ बम विस्फोट करते ही रहते हैं ऐसे समाचार मिलते ही रहतें हैं । अफ्रीका के जंगलों में भी ऐसे प्रयोग होते ही रहते हैं। इससे दुनिया के किसी और भाग को कोई क्षति नहीं हुई है और न ही कोई भाग जीव शून्य हुआ है केवल बम विस्फोट के व्याप्ति प्रदेश में ही हानि हुई है । प्रकृति की निरोधक शक्ति प्रकृति अपने नियमित वस्तु परिणामों से विनाशी गुणों को लिए हुए भी स्वयं को एक परिमिति में बांध कर रखती है । वह अपने व्याप्ति प्रदेश की सीमा 403
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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