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________________ ॥१॥ ॥२॥ -(सिरि भूवलय कुमुदेन्दु विरचित सिरि भूवलय प्रथम खंड - मंगल प्राभृत प्रथम "अ" अध्याय अष्ट महापातिहाय् वयभवदिन्द् । अष्टगुणन्गळोळ ओ*मदम् । सृष्टिगे मन्गल पर्यायदिनित्त् । अष्टम जिनगेरगुवेनु टवणेय कोलु पुस्तक पिन्छ् पात्रेय । अवतारदा कमन्डलद || नवका र मन्त्रसिद्धिगे कारणवेन्दु। भूवलयदोळुपेळ्द महिमा टवणेयोळक्षर दन्कव स्थापिसि । दवयववदे महाव्रतवु ।। अवर वरिगे तक्क शक्तिगे वरवाद । नवमन्गलद भूवलय विहवाणि ओम्कारदतिशय विहनिन्न महावीरवाणि एन्देनुव ।। म्*हिमेय मन्गल प्रातवेन्नुव महसिद्ध् काव्य् भूवलय हकवु द्विसम्योगदोळगे इप्पतुएन्टु प्रकअदोळ् अरवत्तम् कूडे ।। सकलान्कदोळु बि*ट्ट सोन्नेये एन्ट्एन्टु । सकलागम् ऐळु भन्ग कमलगळेळु मुन्दकेपोगुतिर्दाग। क्रमदोळगेरेडुकाल्न्नू रु ।। तमलान् क ऐदुसोन्नेयु आरु एरडयदु । कमलदगन्ध भूवलय ममहरुदयदोळा कमलगळ् चलिपाग । विमलानक गेलिवन्दव्अदु*॥ समवनु बेसदोळु भागिसे सोन्नेय । क्रमविह काव्य भूवलय मविरुद्ध सिद्धान्तवनु महाव्रतकेन्दु । नवपदवणुव्रतकेन्दु ।। स वियागिसि प्रउढ मूढरीर्वरिग् ओम्दे । नेवपद भक्ति भूवलय वियलिय मलमूढ दम्सणुत्तलिया । जयपरीषहव् इप्पत् एरडम् ।। नयम् आर्गदिन्द गेल्दवर सद्वम्शद्। स्वयसिद्ध् काव्य भूवलय यल यल दिक्कुगळ् हत्तनुबट्टेय । नलविनिम् धरिसिर्द मुनियु* ॥ सलुव दिगम्बरनेन्तेन्दु केळुव । बलिदन्क् काव्य भूवलय कलियन्ककाव्य भूवलय ॥११।। बलशालिगळ भूवलय कळेयदपुण्य भूवलय ।।१३।। गेलवेरिसुव भूवलय विलयगेयदघद भूवलय जलजधवलद भूवलय सलुवप्रमाण भूवलय सलेसिद्धधवल भूवलय ||३|| ||४|| ॥५॥ ॥६॥ ॥७॥ ||८|| ॥९॥ ॥१०॥ ॥१२॥ ॥१४॥ ॥१५॥ ॥१६॥ ॥१७॥ ॥१८॥ 178
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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