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सिरि भूवलय
के साथ कन्नड को मिला कर १६ श्रेणी बना पहले की भाँति ही आगे चलती है। १६वें अध्याय के प्रासाक्षर से ही एक काव्य श्रेणी को बढाते जाते हैं ।
इस रीति से १०वें आश्चर्य कहलाने वाले भूवलय को जनता के सामने रखा है। इसमें हमने कोई गलती नहीं की है, हुई गलतियों को सुधारा है। भारतीय उसमें भी कन्नडिगा सहयद से स्वीकार करें ऐसी प्रार्थना करते हैं ।
संपादक - कर्ल मंगलम श्री कंठैय्या
मागडी ताल्लुक