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________________ 6/2 Prince Pārswa, as a vigourous conquerer enters into the very artistically decorated town-Kusasthala with King Ravikirti. एत्थंतरि पासकुमारु वीरु संचलिउ कुसत्थलणयरे जाम घरि-घरि वद्धउ मण-चोरणाइँ घरि-घरि मोत्तिय रंगावलीउ घरि-घरि णच्चिय पवरंगणाउ घरि-घरि परिसंताविय खलाइँ घरि-घरि किउ छडउल्लउ जणेण घरि-घरि सविहूसण कामिणीहिँ उच्चाइय ससलिल कणयकुंभ दुव्वंकुर-दहि-चंदण-विलित्त रविकित्ति णराहिव सहिउ धीरु।। उच्छउ विरइउ लोएण ताम।। णव सुरतरु-पल्लव-तोरणा।। पूरिय उद्धरिय धयावलीउ।। पय पयरुह पहणिय पंगणाउ। वरणारिहिँ दिण्णइँ मंगलाई।। णेहीर विमीसिय जावणेण।। पसरिय मयणाणल सामिणीहिँ।। पल्लव पिहियाणण मलणिसुभ।। माणिक्क पवर किरणोहदित्त।। 10 घत्ता- बहुविह तूर-णिणद्देहिँ जणसम्मदेहिँ सहु रविकित्ति परिंदें। पासुकुमारु पहिउ णयरे पइट्ठउ सविहव विहय सुरिंदें।। 97 || 6/2 ___ विजेता के रूप में कुमार पार्श्व रविकीर्ति के साथ कुशस्थल नगर में प्रवेश करते हैं : नगर-सजावट का वर्णनतत्पश्चात् धीर-वीर वे कुमार पार्श्व राजा रविकीर्ति के साथ जब अपने (ममयावरे) कुशस्थल-नगर के लिये चले, तब लोगों के द्वारा बड़ा उत्सव मनाया गया। घर-घर में मन को चुराने-लुभाने वाले कल्पवृक्षों के नवीन पल्लवों के तोरण बाँधे गये। घर-घर में मोतियों की रंगावलि (रंगोली) पूरी गई। ध्वजा-पताकाएं फहराई गई। घर-घर में प्रवर-कोटि की नारियों ने अपने-अपने चरण-कमलों से प्रांगणों को प्रहत करने वाला नृत्य किया। कुलीन नारियों ने घर-घर में खल जनों को सन्तप्त कर देने वाले मंगलाचार-गीत प्रस्तुत किये। घर-घर में लोगों ने केशर (णेहीर) एवं जपा-कुसुम मिश्रित सुगन्धित जल का छिड़काव किया। घर-घर में वस्त्राभूषणों से अलंकृत कामाग्नि के प्रसार की स्वामिनी (सुहागिन) कामिनियों द्वारा नव-पल्लवों से आच्छादित दूर्वादल के अंकुरों, दहि एवं चन्दन से विलिप्त एवं उत्तम जाति के माणिक्यादि रत्नों की किरणों द्वारा प्रदीप्त, निर्मल जल-प्रपूरित स्वर्णघटों को उठाकर माथे पर रखा घत्ता- नाना प्रकार के तूर-वाद्यों के निनादों के द्वारा जन-समूह के बीच राजा रविकीर्ति के साथ हर्षित मन से कुमार पार्श्व ने सुरेन्द्र को भी मात देने वाले अपने वैभव के साथ उस (कुशस्थल) नगर में प्रवेश किया। (97) 114 :: पासणाहचरिउ
SR No.023248
Book TitlePasnah Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2006
Total Pages406
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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