SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २. अर्थशक्त्युद्भव । ३. शब्दार्थशक्त्युद्भव । उक्त अनुस्वान (गूज) स्वरूप ध्वनि शब्द, अर्थ और शब्दार्थ द्वारा प्रगट होती है। शब्दशक्ति से प्रादुर्भूत ध्वनि वस्तु और अलंकार के भेद से दो प्रकार की होती ध्वनि के समस्त भेदों को संकलित करने पर अठारह प्रकार के ध्वनिकाव्य होते हैं(१) अर्थान्तरसंक्रमित वाच्य ध्वनि , (२) अत्यन्ततिरस्कृत वाच्य ध्वनि (३) असंलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि (४) शब्दशक्त्युद्भव ध्वनि काव्य के दो भेद (५) अर्थशक्त्युद्भव ध्वनि काव्य के बारह भेद १२ (६) शब्दार्थोभयशक्त्युद्भव ध्वनि काव्य वस्तुतः ध्वनि के भेद-प्रभेदों को यदि लाक्षणिक ग्रन्थों के अनुसार योजित किया जाये तो ध्वनि की भेद संख्या ५३५५ होती है । ध्वनि के विषय में परिगणनात्मक ( ४४ )
SR No.023197
Book TitleSahitya Ratna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1989
Total Pages360
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy