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________________ पण्डितराज जगन्नाथ ने रमणीय अर्थ प्रतिपादक शब्द को काव्य की अभिधा दी है रमणीयार्थप्रतिपादकः शब्दः काव्यम् । अग्निपुराण में काव्य का लक्षण इस प्रकार प्राप्त होता है संक्षेपाद्वाक्यभिष्टार्थ - व्यवच्छिन्नापदावली । काव्यं स्फुरदलंकार - गुणवद्दोषवजतम् ॥ कलिकालसर्वज्ञ जैनाचार्य श्री हेमचन्द्र का काव्यलक्षण मम्मटवत् है प्रदोषौ सगुणौ सालंकारौ च शब्दार्थों काव्यम् वाग्भट २ विद्यानाथ ३ विद्याधर जयदेव ५ रूद्रट ६ १. काव्यानुशासन, पृ. १६२ । २. शब्दार्थी निर्दो प्रायः सालंकारौ च काव्यम् । – काव्यानुशासन, वाग्भट, पृ. १४ ३. गुणालंकारसहितो शब्दार्थों दोषवर्जितौ । प्रतापरुद्रीय, पृ. ४२ । ४. शब्दार्थों वपुरस्य तत्र विबुधरात्माभ्यायि ध्वनिः । - एकावली १।१३ । ५. निर्दोषा लक्षणवती सरीतिर्गुणभूषणा । सालंकाररसानेकवृत्तिर्वाक् काव्यनामभाक् ॥ ६. ननु शब्दार्थों काव्यम् । काव्यालंकारः रुद्रट | ( २५ ) चन्द्रालोक, १७ । ।
SR No.023197
Book TitleSahitya Ratna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1989
Total Pages360
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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