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अन्वयः - (हे) द ! द ! द! [हे मूढ ! दीन ! बाल !] (त्वम्) ददम् [भावविशुद्धि
कारकम् ददददम् [सत्यज्ञानदातारम् दम् [दानशौण्डम् ददम् [पावनदानम् ददम् [पूजितैः पूजितम् दददम् [संसारस्त्र्यनासक्तम्] ददददम् [देवदत्तदिव्यवसनम्] ददम् [संसारोच्छेदकम्] दम् [निश्चलम् सुविधिम् [श्रीसुविधिनाथम् सदा अहर्निशम्] सेवस्व [भज] ।
जिनेन्द्रस्तोत्रम्