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अन्वयः - (हे) जज ज ! [हे निशाकरनिर्मल ! आत्मन् !] (त्वम्) जजजजम्
[जैनवैरिवैरविच्छेदकम् जजम् [विगतविद्वेषम्] जम् [जेतारम्] जजजजम् [चतुराननपङ्कजप्रद्योतनम्] जजम् [जीवरक्षकम्] जजम् [जन्मच्छेदकम् जजम् [तपनतेजसम्] जजम् [मेघराज्ञ: पुत्रम्] जम् [श्रेष्ठम्] जम् [निर्मलम्] पद्मप्रभं प्रभुं [श्रीपद्मप्रभस्वामिनम्] भज [सेवस्व ।
जिनेन्द्रस्तोत्रम्