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रुचिरा
श्री अरिहंत परमात्मा की एवं सद्गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा की कृपा से गुरुदेव श्री राजपुण्य वि. जी म. के शिष्य मुनि राजसुन्दर विजय ने परम भक्ति से सर्व जिनेन्द्र परमात्मा का यह स्तोत्र शीघ्रतया किया || २७॥
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जिनेन्द्रस्तोत्रम्