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________________ मेवाड दिवाकर प.पू. गुरूदेवश्री सर्वोदयसागरजी म.सा. के जीवन काल में हुई विशिष्ट शासन प्रभावना के कार्य स्वहस्तक दिक्षा : छह (६) विशेषण : मेवाड दिवाकर, भोले भगवान, श्रीश्रीमाल सेठसेठीया समजा उध्धारक, प्राचीन साहित्य संशोधक, ज्योतिषाचार्य, अपनी निश्रा में छरी पालक संघ : १५, कुल ४१ चातुर्मास में से मुंबई में २१ चार्तुमास अपनी निश्रा में बच्चों की ८-८ दिन की शिबिर : कुल ३३ शिबिर । साहित्य कार्य : 5000 हस्तलिखित प्रत का संकलन, 2535 अप्रगट ग्रंथो का प्रकाशन, 650 पुस्तको का लेखन संपादक, 100 से अधिक काव्य रचनाऐं, अनेक ग्रंथो एवं शास्त्रों के पद्दानुवाद किया। दर्शनाचार : पूज्यश्री अपने जीवनकाल दरम्यान 1000 से अधिक चोवीसीओं और पंचतीर्थीओ को भारत के विविध जिनालयो में बिराजमान की । " घर घर भगवान हर घर भगवान" कॉन्सेप्ट के अंतर्गत कुल २००० घरों में दर्शनीय प्रतिमाओं की स्थापना एवं ६५० गुरुमूर्तिओकी स्थापना। मंडलों की स्थापना : 45 से अधिक विविध मंडलो की स्थापना । - गुरूपूजा : पूज्यश्री द्वारा रचित गुरूपूजा भारतभर के २०० महिला मंडल हर महिने अमावास के दिन पढ़ते है। गुरूस्तुप: अचलगच्छ की गुरूस्तुप बनाने की प्राचीन परंपरा जो ४०० सालों से बंद थी उसे फीर से चालू करके १० गुरूस्तुपों का निर्माण करवाया । जीवदया कार्य : (१) " एनीमल मेडीकल फंड' का हैद्राबाद में प्रारंभ करवाया । (२) हाईकोर्ट ध्वारा उंट की हेराफेरी पर प्रतिबंध लगवाया । (३) कुत्तों के लिए सारवार केन्द्र चालू करवाया । अनुकंपा : भूकंप / पूर/ रेल दुर्घटना / दुष्काल आदि में पूज्यश्री की प्रेरणा से विशाल रकम का अनुदान हुआ । पूज्यश्री के मनपसंद गीत : (१) पंखीडा ने आ पींजरु जुनु जुनु लागे...... • (२) हुं केवो भाग्यशाळी... (३) जनारू जाय छे जीवन, जरा जिनवर ने जपतो जा... संघ एकताः पूज्यश्री के शांत स्वभाव से अनेक संघो के झगडे कुसंप को दूर करके एकता की विशिष्ट शासन प्रभावना के कार्य : - • १५१ छोड (पींछवाई) का उद्यापन । • पूज्यश्री की उपस्थिति में हिन्दु मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा, विश्व हिन्दु परिषद आदि में प्रवचन | "जैन सायन्स एक्झीबिशन " ( आगम के आधार पर) पूज्यश्री की निश्रा में ६ बार आगाम वांचनाएं हुई । ४५० तीर्थंकर परमात्माओके विविध ४५० यंत्रोकी संकलना । • सर्वोदय सीनीयर सीटीझन फ्री टीफीन योजना का अनेक जगह प्रारंभ करवाया। पालीताणा समेतशिखरजी ९९ यात्रा, चउविहार छट्ट करी ७ यात्रा, भारत के १४ राज्यो मे विचरण वर्षीतप-ज्ञानपंचमी-वीशस्थानकतप-वर्धमानतप-नवपदकी ओळी - १० हजार गाथा कंठस्थ
SR No.023184
Book TitleAgam Ke Panno Me Jain Muni Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunvallabhsagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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