SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पूज्य गुरुदेवनी पावन वाणी जे पुण्यात्मा आगम शास्त्रोने लखीने गुणीजनोने आपे छे, ते पुण्यात्मा तेटला अक्षर प्रमाण वर्ष वाळो देव बने छ। ___- पूर्व महर्षि * अगियार अंग उपांग बार, दशपयन्ना जाणीओ, छ छेद ग्रंथ प्रशस्त अर्था मूळ चार वखाणीये, अनुयोगद्वार उदार नंदी, सूत्र जिनमत गाई, वृत्ति टीका भाष्य चूर्णी, पिस्तालीस आगम ध्याईओ। * अ आगमनी भक्ते पूजा करतां पाप पलाय, . कुमति कुसंग कुवासना जाये समकित निर्मळ थाय । * आगम छे अविकारा जिणंदा तेरा, आगम छे अविकारा ज्ञानज्योति प्रगट घटमांहे, जेम रविकिरण हजारा, मिथ्यात्वी दुर्नय सविकारा, तगतगता नहीं तारा, अल्पागम तप कलेश ते जाणो, बोले उपदेशमाला, ज्ञानभक्ति जिनपद निपजावे, नामे जयंत भूपाळा । * सायरमां मीठी महेरामण, शृंगीमत्स्य आहारा, शरणविहीना दीना मीना, ओर ते सायर खारा, पंचमकाळ फळी विष ज्वाळा, मंत्रमणि विषहारा, श्री शुभवीर जिनेश्वर आगम, जिन-पडिमा जयकारा।
SR No.023184
Book TitleAgam Ke Panno Me Jain Muni Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunvallabhsagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy