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________________ ११७ सान विषय. पृष्ठ. विषय. पृष्ठ. अग्निहोम प्रारंभ १०५ समिधाओंके विषयमें विशेष क्षेत्रपालबलि, भूमिसंमार्जन, भूमिसेचन, वैश्वदेवकर्ममें वर्ण्य पदार्थ ११३ दर्भाग्निज्वालन, नागतर्पण, भूमिपूजा आदि१०५ होमके भेद उपवेशनभमिशोधन, पश्चिमाभिमुख जलहोम ११३ उपवेशन, पूजाद्रव्यस्थापन आदि और बालुकाहोम' ११५ परमात्मध्यान होमके अवसर ११५ अर्ध्यप्रदान, होमकुंडार्चन, होमका फल ११६ आग्नस्थापन और अग्निसंधुक्षण यजमान ११६ आग्निसंज्वालनविधि आचमन, होमकरनेका समय प्राणायाम, अग्निआव्हान, आनिहोत्रीकी प्रशंसा और कुंडोंमें अग्निज्वालनक्रम अग्निहोत्रीका फल ११७ तिथिदेवतार्चन, ग्रहार्चन और जिनप्रतिमा आदिको स्वस्थानमें इन्द्रार्चन स्थापन और देवोंका विसर्जन ११८ स्रुक् और सुवा १०७ चैत्यालयस्थ क्षेत्रपाल आदि ११८ आज्याहूति १०८ सुक्-सुवाका आकार और प्रमाण गृहबलि और विशेषोपदेश । ११८ १०८ स्त्रियोंका कर्तव्य ११९ स्रुक्-सुवा तापन, मार्जन जलसेचन १०८ चारप्रकारके देव . ११९ अग्निज्वाला बढ़ जानेपर शमनविधि १०८ सत्यदेवता, क्रियादेवता, तीनों कुडोंमें बराबर होम १०८ कुलदेवता और गृहदेवता १२० तर्पण १०८ चारों प्रकारके देवतोंकी समिधा और वटिका १०९ पूजाका फल और हेतु होम-अन्न ११० उपसंहार और कृतज्ञताप्रकाशन अन्नके अभावम अन्यविधि होम करनेकी विधि पांचवां अध्याय । दिक्पालकोरान्नाहूति कपाटोद्धाटन, द्वारपालानुज्ञापन और . नवग्रहहोम ११० ईर्यापथशोधन मंत्र नवग्रहसंबंधी समिधा १११ मुखवस्त्रोद्घाटन, जिनमुखावलोकन. .. समिधाका फल १११ और यागभूमिप्रवेशन मंत्र १२५ वस्त्राच्छादन १११ पुष्पांजलि, वायघोष ' भूमिशोप्रत्येक कुंडमें एक सौ आठ आहूतियां १११ धन और जलसेचन मंत्र १२६ एकही कुंडमें सब आहूतियां . १११ भूमिज्वालन, नागतर्पण, क्षेत्रपालार्चन, पूर्णाहूति वगैरह ११२ भूमिपूजा और यंत्रोद्धारमंत्र . . . . १२७ १२४
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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