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________________ विनयपिटक, 38, 247, 250, 256, 257 विनयवाद, 64, 65, 82 विनयविजय, 3 विपाक, 22, 256 विपुलांचल पर्वत, 1 विप्रजूति, 55 विमल, 270 विमोक्ष, 26 विराट, 267, 279 विवतक, 265 विवागसुयग, 20, 250 विशाखाचार्य, 150, 157 विशाला, 33 विशेषाश्वयक भाष्य, 40, 164 विश्वामित्र, 239, 251 विषाणक, 55 विष्णु, 54, 100, 155 विष्णुकुमार, 269 विष्णुदत्त परीक्षित, 54 वीर निर्वाण, 2, 3, 6, 9, 11, 12, 14, 20, 21, 36, 37, 41, 148 अनुक्रमणिका • 333 वीरसेन स्वामी, 19 वृत्ति, 36, 108 वृषभ, 52 वृष्णिदशा, 22 वृहत्संहित, 254 वृहदगौतम स्मृति, 158 वृहद जातक, 96 वृहदवृत्ति, 94, 98, 99, 226, 262, 281-284 वृहदारण्यक सूत्र, 91 वेदवाद, 64 वेदान्ती, 82 वेलुवन, 153 वैतरणी, 46, 87, 88 वैतालिक पर्वत, 87 वैशाली, 8, 260, 261, 277 वैश्रमण, 85 वैष्णव वेदान्त, 82 वोर्टे महावीरज, 21 व्यवहार भाष्य, 106, 114, 158, 160, 161, 165, 167, 168, 256 व्याख्या प्रज्ञप्ति, 95, 281 व्यास, 81, 207 शंकराचार्य, 91 शकेन्द्र, 56 शक्र, 241, 242 शतपथ ब्राह्मण, 91 शबर, 244 शबल, 88 शय्यम्भव, 18 शलाकागाहयक, 265 शस्त्रपरिज्ञासूत्र, 95, 97 शाकिनी, 86 शाक्य, 79, 247, 248, 263, 265, 266 शान्तिनाथ, 269 शान्तिपर्व, 154,209, 250, 253, 264, 279 शान्तिसूरि (शान्त्याचार्य), 5, 35, 36, 149, 150, 252, 262, 277, 282 शारीपुत्र, 119 शास्ता, 119 शाहबाजगढ़ी, 91 शिव, 52, 85, 93 faifa, 267, 277 शिश्नदेव, 58 शीतोष्णीय, 25 शीलांक, 24, 26-29, 32, 42, 64, 67, 71, 81, 94, 96, 97, 99, 307
SR No.023137
Book TitleJain Agam Itihas Evam Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Chaturvedi
PublisherAnamika Publishers and Distributors P L
Publication Year2000
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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