SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समारोह में समता विभूति स्व. आचार्य श्री नानेश की नेश्राय में दीक्षा ग्रहण की और महासती श्री सरिता श्री जी म.सा. के नाम से दीक्षित हुई। धर्मरूचि दस्साणी परिवार ने इस दीक्षा के उपलक्ष में समता सरिता सेवानिधि की स्थापना की। आपके परिवार में एक देवर श्री मूलचन्दजी-स्व. श्रीमती पुष्पादेवी और पाँच ननद श्रीमती पुष्पादेवी-धनराजजी डागा, श्रीमती शारदा-जयचन्दलालजी कोचर, श्रीमती शान्ता-दिलीपकुमारजी बरड़िया, श्रीमती रीता अरुणकुमारजी कोचर है। आपके दो पुत्र प्रकाशचंदजी श्रीमती माणकदेवी, प्रदीपकुमार-श्रीमती ललितादेवी तथा दो पुत्रियाँ श्रीमती कान्तादेवी-उत्तमचन्दजी गादिया, श्रीमती सरोजदेवी-स्व. श्री डालमचन्दजी बेताला है।देवरजी के पुत्र श्री दिलीपकुमार-श्रीमती सन्तोषदेवी, एक पुत्री श्रीमती मंजू-राजेन्द्रकुमारजी सेठिया है। आपके पौत्र व पौत्रवधुएं श्री विनीतकुमार श्रीमती प्रियंका, श्री ऋषभकुमार श्रीमती हंसा, यश, दीपेश एवं एक पौत्री दिशा है। दोहिते- श्री संदीप-श्रीमती कविता, कुलदीप-श्रीमती स्वाति, संदीप-श्रीमती सपना, दोहिती- स्व. संगीता, सोनल। इस प्रकार भरा-पूरा संस्कारवान परिवार है। श्रीमती छगनीदेवी अंत समय में धर्म अराधना करती हुई 76 वर्ष की आयु में दिनांक 26.11.07 को कालधर्म को प्राप्त हुई। समाजसेवा को समर्पित श्री भंवरलालजी दस्साणी चिरायु हो और सेवा करते रहें यही मंगलकामना।
SR No.023135
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy