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________________ पाठ - 13 प्राकृत वाक्यों का संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद 1. प्रा. जोहा सत्तूसु सत्थाणि मेल्लिन्ति । सं. योधाः शत्रुषु शस्त्राणि मुञ्चन्ति । हि. सैनिक शत्रुओं पर शस्त्र फेंकते हैं। 2. प्रा. विज्जत्थिणो प्रभाए पव्वं चिअ जग्गंति । सं. विद्यार्थिनः प्रभाते पूर्वमेव जाग्रति । हि. विद्यार्थी सुबह पहले ही जागते हैं। प्रा. सीसा गुरुम्मि वच्छला हवंति । सं. शिष्या गुरौ वत्सला भवन्ति । हि. शिष्य गुरु पर अनुरागवाले होते हैं। 4. प्रा. पक्खिणो तरुसुं वसंति । सं. पक्षिणस्तरुषु वसन्ति । हि. पक्षी वृक्षों पर रहते हैं। 5. प्रा. मुणिंसि परमं नाणमत्थि । सं. मुनौ परमं ज्ञानमस्ति । हि. मुनि में श्रेष्ठ ज्ञान है । 6. प्रा. जओ हरी पाणिम्मि वज्जं धरेइ, तओ लोआ तं वज्जपाणित्ति वयंति । सं. यतो हरिः पाणौ वज्रं धारयति, ततो लोकास्तं 'वज्रपाणिः' इति वदन्ति । हि. जिस कारण इन्द्र हाथ में वज्र धारण करता है, उस कारण लोक उसे 'वज्रपाणि' कहते हैं। 7. प्रा. सवण्णुणा जिणिंदेण समो न अन्नो देवो । सं. सर्वज्ञेन जिनेन्द्रेण समो नाऽन्यो देवः । हि. सर्वज्ञ जिनेश्वर समान अन्य कोई देव नहीं है। 8. प्रा. सिद्धगिरिणा समं न अन्नं तित्थं । सं. सिद्धगिरिणा समं नाऽन्यत् तीर्थम् । हि. सिद्धगिरि समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है। -४६ -
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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