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________________ | हिन्दी वाक्यों का प्राकृत एवं संस्कृत अनुवाद हिन्दी प्राकृत | - 1. गुणों में द्वेष अनर्थ के गुणेसु मच्छरो गुणेषु मत्सरोऽनर्थाय लिए होता है। अणत्थाय होइ । भवति । 2. सुवर्ण का पर्याय निक्खस्स पज्जाओ | निष्कस्य पर्यायो आभूषण है। भूसणं अत्थि । भूषणमस्ति । 3. मंदिर के शिखर पर | मंदिरस्स सिहरम्मि मन्दिरस्य शिखरे मयूरो मयूर नाचता है। मोरो नच्चइ । | नृत्यति । 4. आनंद श्रावक सम्यक्त्व आणंदो सावगो आनन्दः श्रावकः में निश्चल है। सम्मत्तंमि निच्चलो | सम्यक्त्वे निश्चलोऽस्ति । अत्थि । 5. मनुष्य पाप का फल जणो पावस्स फलं | जनः पापस्य फलं देखता है, फिर भी पासइ, तहवि | पश्यति, तथापि धर्म न धर्म नहीं कर सकता धम्मं न करेइ, तत्तो | करोति, ततोऽन्यत् है, इससे दूसरा |अन्नं किं अच्छेरं ? || किमाश्चर्यम् ? | आश्चर्य क्या ? 6. बालक सुबह पिता को | बालो पहाए जणयं | बालः प्रभाते जनक नमस्कार करता है, नमइ, पच्छा य | नमति, और उसके बाद अपना | अप्पकेरं अज्झयणं पशाच्चाऽऽत्मीयमध्ययनं अध्ययन करता है। करेइ । करोति । 7. विह्वल मनुष्य को कार्य | विब्भलस्स जणस्स |विह्वलस्य जनस्य कार्ये में उत्साह नहीं होता | कज्जमि उच्छाहो न | उत्साहो न भवति । होइ । 8. इस बाग में वृक्ष पर | एयंमि उज्जाणंमि एतस्मिन्नुद्याने वृक्षेषु सुंदर फल हैं। | वच्छेसु सोहणाइं शोभनानि फलानि फलाइं सन्ति । | सन्ति । 9. वृद्धावस्था में शरीर | वुड्डत्तणे देहो जिण्णो | वृद्धत्वे देहो जीर्णो जीर्ण होता है। होइ । भवति । - ३५ ३५
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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