SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्र. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26. 27. 28. 29. 30. 31. 32. 33. हिन्दी वह स्तुति करता है । वे पवित्र करते हैं । वह सुनता है । वे आदर करते हैं । वह उत्पन्न होता है । वे क्षय होते हैं । वह बोलता है । वह बढ़ता है । वह निषेध करता है । वे जीतते हैं । वह हिलाता है । वह काँपता है । वह क्रीड़ा करता है । वह होम करता है । वह जाता है । वह खाता है । वह नमन करता है । वे पूछते हैं । वे पढ़ते हैं । वे वन्दन करते हैं । वह रोता है । वे हँसते हैं । वे काँपते हैं । वह घूमता है । वह निन्दा करता है । वे मोहित होते हैं । वह पोषण करता है । प्राकृत थुइ पुणेइरे सुणइ आदरेइरे जम्मइ निज्झरेइरे बोल्लइ वड्ढए हक्कइ जिणेइरे धुणइ कम्पए रमइ हुणइ गच्छेइ जेमइ नवइ पुच्छेइरे भणेन्ति वन्देइरे रोवइ हसिरे कम्पेइरे चरेइ निंदए मुज्झेइरे पूसइ संस्कृत स्तौति पुनन्ति शृणोति आद्रियन्ते जायते क्षयन्ति ब्रवीति वर्धते निषिध्यति जयन्ति धुवति कम्पते रमते जुहोति गच्छति भुङ्क्ते नमति पृच्छन्ति भणन्ति वन्दन्ते रोदिति सन्ि कम्पन्ते चरति निन्दति मुह्यन्ति पुष्यति
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy