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________________ 26 27. 31. | 52. 34. हन्ति 36 37. 22 39. प्राकृत संस्कृत हिन्दी बीहए बिभेति वह भयभीत होता है। भणए भणति वह पढ़ता है। वसन्ते वसन्ति वे रहते हैं। इच्छन्ति इच्छन्ति वे इच्छा करते हैं। करिरे कुर्वन्ति वे करते हैं। चिंतइ चिन्तयति वह विचार करता है। हवइ भवति वह होता है। बुज्झए बोधति वह बोध पाता है। रक्खेन्ति रक्षन्ति वे रक्षण करते हैं। लज्जन्ते लज्जन्ते वे शर्मिन्दा होते हैं। हणए वह मारता है। तूसेइ तुष्यति वह सन्तोष रखता है। रुसन्ते रुष्यन्ति वे रोष करते हैं। थुणइ स्तौति वह स्तुति करता है। रोविमो रुदिमः हम रोते हैं। जिणसे जयसि तू जीतता है। थुणित्था स्तुवीथ तुम स्तुति करते हो। बवेमि ब्रवीमि मैं बोलता हूँ। धुणेमि धुनोमि मैं हिलाता हूँ। जिणेमि जयामि मैं जीतता हूँ। हिन्दी वाक्यों का प्राकृत-संस्कृत अनुवाद हिन्दी __प्राकृत संस्कृत वह खरीदता है। किणइ क्रीणाति वे हिलाते हैं। धुणन्ति धूनयन्ति वह स्पर्श करता है। फासइ स्पर्शति वे शब्द करते हैं। रवन्ति रुवन्ति वह स्मरण करता है। सुमरए स्मरति वे इकट्ठा करते हैं। चिणन्ते चिन्वन्ति 41. क्र. - 10 - समान
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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