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________________ सं. बालत्वे जनकः, यौवनप्राप्तायां भर्ता भवति । वृद्धत्वेन पुत्रः, नारीणां स्वच्छन्दत्वं न ।।57।। हि. नारी बाल्यावस्था में पिता, युवावस्था में पति और वृद्धावस्था में पुत्र के आधीन होती है, इस प्रकार (किसी भी अवस्था में) स्त्रियों को स्वच्छन्दता नहीं है। 21. प्रा. (पसिणं) किं होइ रहस्स वरं, बुद्धिपसाएण को जणो जयइ । किं च कुणंती बाला, नेउरसइं पयासेइ ।।58।। समास विग्रह :- बुद्धीए पसाओ बुद्धिपसाओ, तेणं बुद्धिपसाएण (षष्ठी तत्पुरुषः) । नेउरस्स सद्दो नेउरसद्दो तं नेउरसदं (षष्ठी तत्पुरुषः) । सं. (प्रश्नं) रथस्य वरं किं भवति ? बुद्धिप्रसादेन को जनो जयति ? किं च कुर्वन्ती बाला नुपूरसदं प्रकाशयति ? । हि. (प्रश्न) रथ में श्रेष्ठ क्या है ? (चक्क = चक्र), बुद्धि की महेरबानी से कौन-सा मनुष्य जीतता है ? (मंती = मन्त्री) क्या करती हुई बालिका झांझर (नुपूर) के शब्द को प्रकाशित करती है ? (चक्कमंती = भ्रमण करती) उत्तर = चक्कमंती । हिन्दी वाक्यों का प्राकृत एवं संस्कृत अनुवाद 1. हि. राम और लक्ष्मण ने रावण की सेना को जीत लिया और लक्ष्मण के चक्र से मारा गया रावण मरकर नरक में गया । प्रा. रामलक्खणा रावणस्स सेणं जिणीअ, लक्खणस्स य चक्कहओ रावणो मरिय नरयं गच्छीअ । समास विग्रह :- रामो य लक्खणो य रामलक्खणा (द्वन्द्वसमासः)। लक्खणस्स चक्कं लक्खणचक्कं (षष्ठीतत्पुरुषः)। लक्खचक्केणं हओ लक्खणचक्कहओ (तृतीयातत्पुरुषः)। सं. रामलक्ष्मणौ रावणस्य सेनां जित्वा लक्ष्मणचक्रहतो रावणो मृत्वा नरकमगच्छत् । 2. हि. सज्जन व्यक्ति दुःख आने पर भी असत्यवचन नहीं बोलते हैं । प्रा. सज्जणा दुहपडिया वि असच्चवयणं न भासन्ति । समास विग्रह :- दुहं पडिया दुहपडिया द्वितीया तत्पुरुषः) । असच्चं य तं वयणं असच्चवयणं (कर्मधारयः) -१२२
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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