SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ झुणि (ध्वनि) = शब्द मच्चु (मृत्यु) = मृत्यु, मौत तरु (तरू) = वृक्ष मज्झण्ह (मध्याह्न) = दिन का मध्य नमोक्कार = नमुक्कार (नमस्कार) भाग नमन, प्रणाम, नमस्कार मन्नु (मन्यु) = क्रोध निमेस (निमेष) = पलक | रिउ (रिपु) = शत्रु, दुश्मन नेमि (नेमि) = नेमिनाथ, बाईसवें वण्हि (वह्नि) = अग्नि तीर्थंकर का नाम |विण्हु (विष्णु) = वासुदेव का नाम पण्ह (प्रश्न) = प्रश्न सत्तु (शत्रु) = शत्रु, दुश्मन पयास (प्रकाश) = प्रकाश संति (शान्ति) = शांतिनाथ, सोलहवें पराभव (पराभव) = पराभव, हार तीर्थंकर का नाम पसाय (प्रसाद) = मेहरबानी, कृपा, | संहार, संघार (संहार) = संहार, नाश दया करना पहु (प्रभु) = प्रभु, स्वामी सिसु (शिशु) = बालक हत्थि (हस्तिन) = हाथी (नपुंसकलिंग) चंदण (चन्दन) = चंदन जुद्ध (युद्ध) = युद्ध (पुंलिंग + नपुंसकलिंग) अच्छि (अक्षि) = आँख जीवाउ (जीवातु) = जीवन, औषध विशेषण अण्णाणि (अज्ञानिन्) = अज्ञानी, मूर्ख | बहु । (बहु) = अधिक, ज्यादा, बहुत कामसम (कामसम) = काम समान बहुअ) कोवसम (कोपसम) = क्रोध समान भगवंत। (भगवन्) = ऐश्वर्यवान, जरागहिअ (जरागृहीत) = वृद्ध , | भयवंत, भगवान बुढ़ापा, बुढ़ापे से घिरा हुआ भव्द (भव्य) = भव्य जीव, योग्य , सुन्दर तिक्ख । (तीक्ष्ण) = तीखा, धारदार, मंद (मन्द) = धीरे, थोड़ा, आलसी तिण्ह । तीक्ष्ण महुर (मधुर) = अच्छा, मीठा पर (पर) = अन्य, श्रेष्ठ, दूसरा | मोहसम (मोहसम) = मोह समान, पुज्ज (पूज्य) = पूजा करने योग्य अज्ञान समान -65 -
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy