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________________ महु (मधु) महुणा, महुस्स महूण, महूणं महुणो, महत्तो, महूओ, महत्तो, महूओ, महूउ, महूउ, महूहिन्तो, महूहिन्तो, महसुन्तो महुणो, महुस्स महूण, महूणं 1. जिन शब्दों में श्न-ष्ण-स्न-ह-हण-क्षण हो तो उसका ण्ह होता है, सूक्ष्म . शब्द के क्ष्म का ण्ह होता है और हल का ल्ह होता है । उदा. न-पण्हो (प्रश्नः) हण-पुदण्हो (पूर्वाह्णः) ष्ण-जिण्हू (जिष्णुः) क्ष्ण-सण्हं (श्लक्ष्णम्) स्न-जोण्हा (ज्योत्स्ना) । क्ष्म-सण्हं (सूक्ष्मम्) स्न-हाइ (स्नाति) हल-पहलाओ (प्रह्लादः) ह-जण्हू (जहनुः) | हल-आल्हाओ (आह्लादः) 2. शब्द के अन्दर स्त हो तो त्थ होता है और प्रारम्भ में स्त हो तो थ होता है । (२/४५) . उदा. हत्थो (हस्तः) | थोत्तं (स्तोत्रम्) नत्थि (नास्ति) थुई (स्तुतिः) अपवाद - समस्त और स्तम्ब शब्द में स्त का त्थ अथवा थ नहीं होता है। उदा. समत्तो (समस्तः), तम्बो (स्तम्ब:) 3. अनुस्वार के बाद ह आये तो ह का घ विकल्प से होता है । (१/२६४) उदा. सिंघो-सीहो (सिंहः), संघारो-संहारो (संहारः) अपवाद - कुछ स्थानों में अनुस्वार न हो तो भी ह का घ होता है । दाघो (दाहः) । शब्दार्थ (पुंलिंग) अंगार ) = (अङ्गार) अंगार कण्ह, किण्ह = (कृष्ण) वासुदेव कवि (कपि) = बंदर इंगार केवलि (केवलिन) = केवलज्ञानी, सर्वज्ञ गणि (गणिन्) = गणधर, गणी अवरोह (अपराण) = दिन का अन्तिम गोयम (गौतम) = श्री महावीरस्वामी प्रहर के प्रथम गणधर, गौतम अवराह (अपराध) = गुनाह, अपराध जंतु (जन्तु) = प्राणी, जीव अंगाल इंगाल
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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