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________________ पाठ - 7 'अकारान्त नाम पढमा और बीया विभक्ति प्रत्यय (३/२, ४, ५, १२, १४, २५, २६) एकवचन बहुवचन ओ (ए) आ, ए इं, इँ, णि (इ) पुंलिंग आ पढमा बीया नपुंसकलिंग पढमा / बीया टिप्पणी : 1. प्राकृत भाषा में आठ विभक्तियों के लिए पढमा (प्रथमा), बीया (द्वितीया), तइया (तृतीया), चउत्थी (चतुर्थी), पंचमी (पञ्चमी), छठ्ठी (षष्ठी), सत्तमी (सप्तमी) और संबोहण (संबोधन) इन शब्दों का प्रयोग होता है | 2. अ कारांत पुंलिंग प्रथमा विभक्ति का ए प्रत्यय तथा दूसरे भी ऐसे कौंस में दिये हुए प्रत्ययों का आर्ष में ही प्रयोग होता है। उदा. समणे भयवं महावीरे (श्रमण भगवान महावीर) नियम 1. अकारांत पुंलिंग में पंचमी विभक्ति सिवाय के स्वरादि प्रत्यय लगाने पर - पूर्व के स्वर का लोप होता है । उदा. जिण + ओ = जिणो । 2. (अ) पदान्तं में म् हो तो सभी जगह पूर्व के अक्षर पर अनुस्वार रखा जाता है | उदा. जिणम् = जिणं । (ब) पदान्त म् के बाद स्वर हो तो पूर्व के अक्षर पर विकल्प से अनुस्वार रखा जाता है, जब अनुस्वार न हो तब म् बाद में रहे स्वर मे मिल जाता है । (१/२३, २४) उदा. जिणम् + अजियं = जिणं अजियं/जिणमजियं । उसभं अजियं च वंदे = उसभमजियं च वंदे । 3. नपुंसकलिंग मे इं, इँ और णि प्रत्यय लगाने से उसके पूर्व का स्वर दीर्घ होता है । (३/२६) उदा. फल + ई = फलाइं/फलाइँ/फलाणि | - ३१ -
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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