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________________ विणट्ठ (विनष्ट) = नष्ट, नष्ट हुआ | संवच्छरिअ (सांवत्सरिक) = संवत्सर विणिद्दिट्ट (विनिर्दिष्ट) = विशेष प्रकार | सम्बन्धी, वार्षिक से कहा हुआ संतिण्ण (सन्तीर्ण) पार पाया हुआ, तिरा हुआ अव्यय णं (देश्य) वाक्यालंकार में उपयोगी धातु 4. अइवाय (अति + पात्)= जीवहिंसा करना | विहे (वि + धा) = करना, बनाना अणुया (अनु + या) = अनुसरण करना | पया (प्र + जनय) = प्रसव करना, अभि + सिंच (अभि + सिञ्च) = | जन्म देना अभिषेक करना पसन् (प्र + सू) = जन्म देना, उत्पन्न वाय् (वाचय) = पढ़ना, पढ़ाना करना हिन्दी में अनुवाद करें 1. उवज्झाओ चउण्हं समणाणं सुत्तस्स वायणं देइ । 2. पंच पंडवा सिद्धगिरिम्मि निव्वाणं पावीअ । 3. कामो कोहो लोहो मोहो मयो मच्छरो य छवियारा जीवाणमहियगरा | अस्सि उज्जाणे पणवीसा अंबा, छत्तीसा य लिंबा, एगासीई केलीओ, सडसट्ठी चंपआ अत्थि । सो समणो पव्वइओ अद्भुढेहिं सह खंडियसएहिं । 6. नहे सत्तण्हं रिसीणं सत्त तारा दीसन्ति । 7. समोसरणे भयवं महावीरो देवदाणवमणुअपरिसाए चऊहिं मुहेहिं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ । 8. तिसला देवी चइत्तमासस्स सुक्कपक्खे तेरसीए तिहिए महावीरं पुत्तं पयाही । 9. दसहिं दसेहिं सयं होई, दसहिं सएहिं सहस्सं । दसहिं सहस्सेहिं अजुयं, दसहिं अजुएहि लक्खं च ||1|| 10. उसभे अरिहा कोसलिए पढमराया पढमभिक्खायरिए, पढम तित्थयरे, वीसं पुव्वसय-सहस्साई कुमारवासे वसित्ता, तेवष्ठिं पुव्वसयसहस्साई रज्जमणुपालेमाणे लेहाइयाओ सउणरुअपज्जवसाणाओ बावत्तरिं r1 २४०
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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