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________________ ईसिं (ईषत्) = अल्प, थोड़ा |बहुसो (बहुशः) = अनेकबार एक्कसरिअं (दे.) = शीघ्र, जल्दी, मोरउल्ला । (मुधा) = मुधा, व्यर्थ संप्रति, अब मुहा णवर । (दे.) = केवल, फक्त, वीसुं (विष्वक्) = चारों तरफ, समन्तात् णवरं । अनन्तर, बाद में हद्धि । (हा + धिक्) = खेदसूचक, थु (दे.) = निन्दासूचक हद्धी । अनुताप धातु अई। (गम्) जाना झड् (शद) = सड़ना, गिरना, झपट णी । | मारना, गिराना अक्कम् (आ + क्रम्) दबाना, आक्रमण निअच्छ) करना पुलोअ (दृश्) = देखना अणुभव (अनु + भव) = अनुभव करना, | पुलअ जानना निअ ) आइक्ख् (आ + चक्ष) = कहना, उपदेश | निस्सस् । (निर् + श्वस्) = निःश्वास देना |नीसस लेना आरंभ ) (आ + रभ्) = शुरू करना, |पमाय (प्र + माद) = प्रमाद करना, आढव् ) प्रारम्भ करना भूलना आरम् । | पव्वय् (प्र + व्रज) = दीक्षा लेना आसास् (आ + श्वास्) = शान्ति देना, भास् (भाष) = बोलना आश्वासन देना |विक्के (वि + क्री) = बेचना छिन् । (स्पृश्) = स्पर्श करना संपज्ज् (सम् + पद्) = प्राप्त करना छिह । सोय । (शुच्-शोच) = शोक करना जीह (लज्ज) = लज्जित होना, शरमाना | सोच । हिन्दी में अनुवाद करें 1. जइ से पिया न पव्वइओ होन्तो, तो लटुं होन्तं । 2. तइय च्चिय पव्वज्जं गिण्हंतो, ता इण्हि एरिसं पराभवं नेव पावितो । 3. सव्वेसिं गुणाणं बम्हचेरं उत्तममत्थि । 4. गुरवो सया अम्ह रक्खन्तु । - 5. कण्हेण भयवं पुच्छिओ, सामि ! कत्तो मे मरणं भविस्सइ ? -२२१
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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