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________________ नपुंसकलिंग दूर (दूर) = दूर, अलग | वेर ? (वैर) = वैर, दुश्मनी वसण (वसन) = रहना, वस्त्र -- वइर । पुंलिंग + नपुंसकलिंग भूअ (भूत) प्राणी, भूत | वय (वयस्) उम्र , आयुष्य पुंलिंग + स्त्रीलिंग उवहि (उपधि) माया, उपकरण, साधन । स्त्रीलिंग अणगारिया (अनगारिता) = साधुजीवन | पवज्जा (प्रव्रज्या) = दीक्षा जरादेवी (जरादेवी) = वसुदेव की स्त्री पुहुवी (पृथ्वी) = पृथ्वी, भूमि दिट्टि (दृष्टि) = दृष्टि, नजर | मित्ती (मैत्री) = मैत्री, दोरिआ (दे. दवरिका) = रस्सी, डोरी| सही (सखी) = सहेली, परंपरा (परम्परा) = परम्परा, अनुक्रम विशेषण उवज्जिअ (उपार्जित) = उपार्जन किया | लट्ठ (दे.) = सुन्दर विवरिअ । (विपरीत) = उल्टा, प्रतिकूल जेट्ठ । (ज्येष्ठ) = बड़ा, वृद्ध विवरीअ. जिट्ट विहलिअ (विह्वलित) = व्याकुल तिविह (विविध) = तीन प्रकार से (मन, | वुत्त (उक्त) = कहा हुआ वचन-काया से) संजुअ (संयुत) = युक्त, सहित निबद्ध (निबद्ध) = बँधा हुआ सज्ज (सज्ज) = तैयार परिणय (परिणत) = परिपक्व समाण (सत्) = होता हुआ , विद्यमान बाहिर (बाह्य) = बाहर का सेस (शेष) = बाकी हुआ अव्यय अइ। (अयि) संभावना अर्थ में, | इहरा । (इतरथा) अन्यथा, नहीं तो, ऐ । आमन्त्रण सूचक | इहरहा। अन्य प्रकार से .
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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