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________________ प. बी. त. च. छ. पं. स. सं. प. प. उच्च सं. सं. स्त्रीलिंग - ई प्रत्यय आ प्रत्यय धन्नयरी, कट्टयमी, लहुयरी, उच्चयमी, धन्नयरा, उच्चयमा आकारान्त पुंलिंग गोवा (गोपा) गोपाल उच्चयरो (उच्चतरः) अधिक ऊँचा उच्चयमो (उच्चतमः) सब से ऊँचा 21. गामणी- खलपू वगैरह दीर्घ ईकारान्त - ऊकारान्त शब्दों के रूप, उनके स्वर ह्रस्व होकर ह्रस्व इकारान्त - उकारान्त पुंलिंग के समान ही बनते हैं, मात्र संबोधन में उनका स्वर नित्य ह्रस्व होता है । एकवचन गामणी - खलपू हे गामणि हे खलपु - एकवचन गोवा गोवाम् गोवाण-णं गोवाहि, गोवाहि, गोवाहिं गोवस्स गोवाण, गोवाणं गोवत्तो, गोवाओ - उ, गोवाहिन्तो गोक्तो, गोवाओ - उ- हिन्तो- सुन्तो गोवम्मि गोवासु, गोवासुं हे गोवा ! हे गोवा ! बहुवचन गोवा गोवा बहुवचन गामणउ, गामणओ, गामणिणो, गामणी खलपवो, खलपउ, खलपओ, खलपुणो, खलपू हे गामणउ, गामणओ, गामणिणो, गामणी हे खलपवो, खलपउ, खलपओ, खलपुणो, खलपू शेष रूप मुणि, साहु वत् प्राकृत देश्य अत्थक्कं (अकाण्डम्) अकस्मात् आऊ (आप) पानी आसीसा (आशी :) आशीर्वाद प्रयुक्त शब्द कत्थइ (क्वचित् ) कभी-कभी खुड्डओ ( क्षुल्लकः) छोटा साधु • गावी (गौः) गाय • गो शब्द के स्त्रीलिंग अंग गावी, गाई, गोणी, गउ बनते हैं, गावी- गाई और गोणी के रूप इत्थी के समान तथा गउ के रूप धेणु के समान जानने चाहिए । १६५
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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