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________________ कीड् (क्रीड) कील् = = क्रीड़ा करना, = धातु गण् (गण) = गिनना |नास् (नाशय् ) = नाश करना गल् (गल्) गलना, सड़ना, नष्ट मन्न् (मन्-मन्य) = मानना, विचारना होना, समाप्त होना, झरना मग्ग् (मार्गय्) = ढूंढना, मांगना | दुह ) (दुह) = दोहना दोह / डस् डंक मारना, हँसना बुक्कू } (भष्) = भौंकना भस् लिह् ) (लिह्) = चाटना णिसज्ज् } (निमज्ज्) = डूबना लेह हिन्दी में 1. अज्ज साहवो नयराओ विहरिस्सन्ति । 2. गोवाला पए धेणूओ दोहिहिन्ति । अहं सीसाणमुवएसं करिस्सं । 3. 4. मक्खिआ महुं लेहिस्सइ । 5. पारद्विणो अरण्णे वच्चिहिन्ते, तहिं च वीणाए झुणिणा हरिणीओ वसीकरिस्सन्ते, पच्छा य तांओ हिंसिहिरे । 6. तुं रणे जाज्जाहिसे, तया सिंघो चवेडाए पहरेहिए । लोदओ मोग्गरेण जणेण हणीअ । 7. 8. तुम्हे गुरु भत्तीए सेवेह, ताणं किवाए कल्लाणं भविस्सइ । 9. कन्नाओ अज्ज पहुणो पुरओ नच्चिस्सन्ति, गाणं च काहिन्ति । 10. उज्जाणे अज्ज जाइस्सामो, तत्थ य सरंसि जायाइं सरोयाणि जिणिंदाणं अच्चणाए गिण्हिहिस्सा । अनुवाद करें 11. अज्ज अहं तत्ताणं चिंताए रत्ति नेस्सं । 12. तं कज्जं काहिसि तो दव्वं दाहं । 13. कालिम्मि नरिंदा धम्मेण पयं न पालिहिरे । 14. जइ सो दुज्जणो * होही, तया परस्स निंदाए तूसेहिइ । * एक पद में कभी-कभी सन्धि होती है । (पा. 2.नि. 3) उदा. काहिइ-काही, होहिइ-होही, दाहिइ-दाही ११०
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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